जेपी नड्डा का एक साल के लिए बढ़ा कार्यकाल, सामने आने वाली हैं ये बड़ी चुनौतियां, पार्टी को जीत दिलाने के लिए करनी होगी खासी मेहनत
विधानसभा चुनाव 2023 जेपी नड्डा का एक साल के लिए बढ़ा कार्यकाल, सामने आने वाली हैं ये बड़ी चुनौतियां, पार्टी को जीत दिलाने के लिए करनी होगी खासी मेहनत
- नहीं आसान होने वाली है जेपी नड्डा की राहे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दो दिवसीय भारतीय जनता पार्टी ने कार्यकारिणी बैठक की। जिसका नतीजा रहा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जून 2024 तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। जेपी नड्डा तीसरे ऐसे बीजेपी नेता हैं जिनका अध्यक्ष पद के लिए कार्यकाल बढ़ा है। इससे पहले लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह ही दो ऐसे नेता रहें जिनका अध्यक्ष पद के लिए कार्यकाल बढ़ था। जेपी नड्डा को संगठन का अच्छा खासा तर्जुबा है। जिसको देखते हुए पार्टी हाईकमान ने एक बार फिर से नड्डा पर विश्वास जताया है। हालांकि, जेपी नड्डा की राहें आसान नहीं होने वाली हैं क्योंकि इस वर्ष 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बीजेपी इन राज्यों के विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान कर चल रही है।
भाजपा ने कसी कमर
आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी कमर कसती हुई नजर आ रही है। जिसका असर अभी से देखने को मिलने लगा है। भाजपा हाईकमान ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है। हालांकि, नड्डा के लिए यह एक साल चुनौतिपूर्ण रहने वाला है। साल 2023 में कुल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इनमें मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, त्रिपुरा समेत पूर्वोत्तर के राज्य शामिल हैं।
आमने-सामने हैं भाजपा और कांग्रेस
जेपी नड्डा के लिए यह साल काफी अहम रहने वाला है। अब देखना होगा कि नड्डा इन चुनौतियों से कैसे निपटते हैं। इस साल के आखिर में मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। जिसमें बीजेपी और जेपी नड्डा को मुश्किलों का समाना करना पड़ सकता है। दरअसल प्रदेश में मौजूदा मुख्यमंत्री को लेकर एंटी इनकंबेंसी देखने को मिल रही है। वहीं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार बीजेपी पर हमलावार नजर आ रहे हैं। ऐसे में जेपी नड्डा को राज्य की जनता को साधे रखना होगा। जबकि कांग्रेस पार्टी प्रदेश में एक बार फिर से सरकार बनाने के लिए दम भर रही है।
छत्तीसगढ़ में दिख रही है कांग्रेस मजबूत
जेपी नड्डा की चुनौती यहीं नहीं रूकती है क्योंकि छत्तीसगढ़ में भी पार्टी को मजबूत स्थिति में लाना हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल के कामकाज से जनता खूश है। उनके सरकार के खिलाफ जनता में एंटी इनकंबेंसी नहीं दिख रही है जो भाजपा के लिए ठीक नहीं है। अगर बीजेपी को प्रदेश की विधानसभा चुनाव को जीतना है तो बहुत अधिक मेहनत करनी होगी। मौजूदा सरकार की गलत नीतियों को जनता के समक्ष ले जाना होगा। हालांकि, बघेल सरकार के खिलाफ ये सब करना उतना आसान नहीं होगा। वहीं जेपी नड्डा के कार्यकाल बढ़ाने के बाद पार्टी हाईकमान को उम्मीद होगी की वो छत्तीसगढ़ में बीजेपी को जीत दिलाएं।
राजस्थान में राहें आसान नहीं
राजस्थान में जेपी नड्डा की राहे आसान नहीं होने वाली है। हालांकि थोड़ी राहत जरूर मिल सकती है। दरअसल राजस्थान के मौजूदा सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट में टकरार की खबरें सामने आती रहती हैं। ऐसा संभव है की इन दोनों की लड़ाई की वजह से भाजपा को चुनाव में फायदा मिल जाए। हालांकि, राजनीति एक अनिश्चिताओं का खेल है कुछ भी कहना जल्दी बाजी होगा।
दक्षिण में करो या मरो की स्थिति
भाजपा उत्तर भारत में तो अपनी पैठ बनाई हुई है। वहीं दक्षिण राज्य में मात्र कर्नाटक में ही पार्टी की सत्ता है। अगले कुछ ही महीनों में इस राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बता दें कि दक्षिण राज्य तेलगांना में भी इसी वर्ष चुनाव होने वाला है। जिस पर भाजपा की नजर बनी हुई है। बीजेपी ये कभी नहीं चाहेगी की कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार मिले। वहीं जेपी नड्डा के सामने चुनौती आ खड़ी हुई है कि वो पार्टी को जीत दिलाए नहीं तो बीजेपी दक्षिण राज्यों से पूरी तरह सिमट जाएगी। जिसका असर आगामी लोकसभा चुनाव पर सीधा पडे़गा।
पूर्वोत्तर के राज्यों में भी हैं चुनाव
पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। जहां पार्टी को कांग्रेस समेत अन्य क्षेत्रीय दलों से चुनौती मिल सकती है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने क्लीन स्वीप किया था। भाजपा को विश्वास है कि पार्टी इस बार भी राज्य में बेहतर प्रदर्शन करेगी। वहीं पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड, मेघालय और मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जहां भाजपा क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है। पीएम मोदी के नेतृत्व में जेपी नड्डा को अब बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब देखना होगा कि पार्टी को वो जीत दिलाने में सफल हो पाते हैं या नहीं।