सामवेद के हिंदी, उर्दू अनुवाद से जाएगा संदेश, मजहबो में हिंसा, कट्टरता, कन्वर्जन ना हो प्यार और भाईचारा हो: इंद्रेश कुमार
दिल्ली सामवेद के हिंदी, उर्दू अनुवाद से जाएगा संदेश, मजहबो में हिंसा, कट्टरता, कन्वर्जन ना हो प्यार और भाईचारा हो: इंद्रेश कुमार
- लोकार्पण करके एक बड़ी पहल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि सामवेद विश्व का एक ऐसा ग्रंथ है, जिससे विश्व की सभी सभ्यताएं और संस्कृतियां हजारों हजार वर्ष से प्रभावित होती चली आ रही हैं। क्योंकि यह कला का सृजन करता है, कला आदमी का प्राण तत्व है। वह उसको जीवंत बना कर रखती है सामवेद का एक साथ हिंदी उर्दू अनुवाद हुआ है, इसकी पहली विशेषता है दूसरी विशेषता हिंदी उर्दू अनुवाद करने वाले इकबाल दुर्रानी हैं जो मजहब से मुसलमान है, पर देश से हिंदुस्तानी भारतीय हैं, तीसरी इसकी विशेषता यह है यह सचित्र है इससे यह संदेश जाएगा कि मजहबो में हिंसा, कट्टरता, कन्वर्जन नहीं होना चाहिए बल्कि मजहबो में प्यार हो भाईचारा हो और सभी एक दूसरे के मजहबो की इज्जत करे, सम्मान करें। यह शांति और विकास के लिए आवश्यक था और यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक ने इसका लोकार्पण करके एक बड़ी पहल को पुन: आगे बढ़ाया है।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि आज भारत के प्रधानमंत्री जो विश्व में शांति और एकात्मता के रूप और प्रवास करते हैं उनको भी मजबूती मिलेगी। और देश को एक नई दिशा प्रदूषण मुक्त, छुआछूत मुक्त, दंगा मुक्त और जंग मुक्त भारत और ऐसा विश्व सजाने की एक शानदार पहल आगे बढ़ेगी सामवेद के हिंदी, उर्दू अनुवाद को जन जन तक पहुंचाने के लिए मीडिया को भी अपनी भूमिका अदा करना चाहिए। इस पर छोटे-बड़े एपिसोड भी बनेंगे उनके द्वारा भी यह जन जन तक जाएगा और कोई दुनिया की ताकत इसको जन-जन तक जाने के लिए नहीं रोक सकती।
आईएएनएस
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