सरकार बूचड़खानों के लिए दिशानिर्देश बनाने को तैयार, छिड़ सकता है विवाद
कर्नाटक सरकार बूचड़खानों के लिए दिशानिर्देश बनाने को तैयार, छिड़ सकता है विवाद
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार जानवरों को मारने के लिए स्टनिंग तरीका अपनाने के लिए बूचड़खानों के लिए दिशानिर्देश बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। सूत्रों का कहना है कि हालांकि सरकार फिलहाल कूटनीतिक बयान दे रही है, लेकिन पार्टी इसे लागू करने की तैयारी में है। इस कदम से राज्य में और हंगामा होने की उम्मीद है, जो पहले से ही हलाल कटे हुए मांस पर प्रतिबंध लगाने के आह्वान के कारण तनाव का सामना कर रहा है।
पशुपालन मंत्री प्रभु चौहान ने शनिवार को कहा कि वे पशु प्रेमियों की उस मांग पर गौर करेंगे, जिन्होंने विभाग को लिखा है कि बूचड़खानों में स्टनिंग को अनिवार्य किया जाना चाहिए। स्टनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो यह सुनिश्चित करती है कि बूचड़खाने में मारे जाने से पहले जानवर को दर्द से बेहोश कर दिया जाए। प्रभु चौहान ने कहा कि वह बूचड़खानों में स्टनिंग को अनिवार्य करने पर फैसला करेंगे। उन्होंने कहा, अभी तक स्टनिंग को अनिवार्य नहीं किया गया है और विभाग से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि हलाल कटौती की अनुमति नहीं है, मैं वेरिफाई करूंगा।
भाजपा के सूत्रों ने कहा कि पार्टी गाइडलाइन को अनिवार्य बनाने पर विचार कर रही है क्योंकि वह अवैध रूप से पशु वध करते समय हलाल और झटका प्रक्रियाओं की अनुमति नहीं देगी। यदि ऐसा होता है, तो राज्य में भारी संकट जैसी स्थिति हो जाएगी क्योंकि हलाल के खिलाफ कुछ भी अल्पसंख्यकों के साथ अच्छा नहीं होगा।
केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत बूचड़खानों के लिए स्टनिंग तरीके की सिफारिश की है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक उमापति ने बताया कि विभाग को इस संबंध में पशु कार्यकर्ताओं की कई शिकायतें मिली हैं। गाइडलाइन के बावजूद बूचड़खाने नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। यदि बूचड़खाने नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आईपीसी के साथ-साथ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
इस संबंध में जनता भी मुकदमा दर्ज करा सकती है। पहली बार दुकानदार पर जुर्माना और दूसरी बार अपराध करने पर जेल भी हो सकती है। फिलहाल जुर्माने की राशि 50 रुपये है। इसे बढ़ाकर 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये करने की अपील की जा रही है। वर्तमान कारावास की अवधि 6 माह से 3 वर्ष है। उन्होंने बताया कि कारावास की अवधि बढ़ाने की भी मांग की गई है।
(आईएएनएस)