SC/ST एक्ट विवाद : पूर्व मंत्री रमई राम ने दलितों के लिए मांगा 'हरिजिस्तान'
SC/ST एक्ट विवाद : पूर्व मंत्री रमई राम ने दलितों के लिए मांगा 'हरिजिस्तान'
डिजिटल डेस्क, मुजफ्फरपुर। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कानून (SC/ST एक्ट) को लेकर देशभर में विवाद जारी है। दलित समुदाय के लोग जगह-जगह हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन सबके बीच बिहार के पूर्व मंत्री रमई राम ने भी बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति को मिले संवैधानिक अधिकारों को छीना जा रहा है। उनके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है। इसलिए हमें हरिजिस्तान चाहिए। साथ ही भारत बंद के दौरान मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिए जाने की भी मांग की है।
फिर से उठेगी हरिजिस्तान की मांग
मंगलवार को मुजफ्फरपुर में कालीबाड़ी रोड स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा अगर संविधान से मिले अधिकार देश के अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों को नहीं दिये गए और उन अधिकारों की रक्षा नहीं की गई तो भारत में फिर से अलग हरिजिस्तान की मांग उठ सकती है। रमई राम ने कहा कि समाज के कमजोर वर्ग अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारों में कटौती करने की साजिश रची जा रही है।
सरकारें छीन रहीं संविधान से मिली सुविधाएं
आठ बार विधायक रह चुके रमई राम ने कहा कि देश की आजादी के वक्त बाबा साहेब अंबेडकर ने पाकिस्तान के बाद हरिजिस्तान की मांग की थी। तब नेताओं ने हरिजिस्तान की मांग की जगह संविधान में विशेष सुविधा का प्रावधान किया था। 70 साल तक सरकार ने समाज में भाईचारा और प्रेम भी बरकरार रखा लेकिन अब केंद्र और प्रदेश की सरकारें सुप्रीम कोर्ट की आड़ में संविधान से मिली शक्तियों और सुविधाओं को छीनने की कोशिश कर रही हैं। रोजगार के अवसरों से वंचित किया जा रहा है।
रामविलास पासवान पर रमई राम का वार
रमई राम ने केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर भी वार किया है। उन्होंने पासवान दलितों के हित की बात करने की बजाय अपने परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए पीएम मोदी के साथ राजनीति कर रहे हैं।
भारत बंद को बताया ऐतिहासिक
गौरतलब है कि एससी एसटी कानून में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनो ने 2 अप्रैल को भारत बंद किया था। उन्होंने इसे ऐतिहासिक बताया है साथ ही भारत बंद के दौरान लोग मारे गये लोगों को शहीद का दर्जा देने की बात भी कही है। रमई राम ने कहा कि मृतकों के परिवार वालों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता और सामाजिक सम्मान दिया जाना चाहिए।
जानिए क्या है SC/ST एक्ट
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों पर होने वाले अत्याचार और भेदभाव रोकने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था। जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस कानून को लागू किया गया। कानून के तहत इन लोगों को समाज में समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। इन लोगों पर होने वाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई जिससे ये अपनी बात खुलकर रख सकें।
एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
SC/ST एक्ट के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि SC/ST एक्ट के तहत FIR दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। इसके पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी आरोपों की जांच करेगा। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तभी आगे की कार्रवाई होगी।
फैसले के विरोध में हिंसा
कोर्ट के इस फैसले के बाद देश के कई दलित संगठनों में आक्रोश पैदा हो गया। यहां तक कि राजनैतिक दलों ने भी इस पर राजनीति करने से पीछे नहीं हटे। विपक्ष ने दबाव बनाया जिसके बाद अब केंद्र सरकार ने रिव्यू पिटीशन दाखिल कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया। इस दौरान पूरा देश हिंसा की आग में झुलसता रहा।