केंद्र के वन संरक्षण नियम पर सीएम हेमंत को गहरी आपत्ति, पीएम को पत्र लिख कहा- खत्म हो जाएंगे लाखों आदिवासियों के अधिकार
झारखंड केंद्र के वन संरक्षण नियम पर सीएम हेमंत को गहरी आपत्ति, पीएम को पत्र लिख कहा- खत्म हो जाएंगे लाखों आदिवासियों के अधिकार
डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र सरकार की ओर से लाए गए वन संरक्षण नियम-2022 पर गहरी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने तल्ख लहजे में कहा है कि इन नियमों के जरिए बड़ी बेशर्मी से स्थानीय ग्राम सभाओं की शक्ति कम कर दी गई है। इससे वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों, खास तौर पर लाखों आदिवासियों के अधिकार खत्म हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र को अपने ट्वीटर हैंडल पर भी पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा है कि मैं ऐसे राज्य का मुख्यमंत्री हूं, जहां 32 जनजातीय समुदाय के लोग प्रकृति के साथ सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से जीवन जीते हैं। ये लोग पेड़ों की पूजा और रक्षा करते हैं। वन संरक्षण नियम-2022 के अनुसार स्थानीय ग्राम सभाओं की इजाजत लिए बिना गैर वानिकी कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई की जा सकती है।
उन्होंने पत्र में लिखा है, जो लोग इन पेड़ों को अपने पूर्वजों के रूप में देखते हैं, उनकी सहमति के बिना पेड़ों को काटना उनकी स्वामित्व की भावना पर एक दर्दनाक हमला है। नए नियम उन लोगों के अधिकारों को खत्म कर देंगे, जिन्होंने पीढ़ियों से जंगलों को अपना घर कहा है, लेकिन जिनके अधिकारों को दर्ज नहीं किया जा सका है। विकास के नाम पर उनकी पारंपरिक जमीनें छीनी जा सकती हैं। नए नियमों से अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि एक बार फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलने के बाद बाकी सब औपचारिकता बनकर रह जाता है। वन भूमि के डायवर्जन में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार पर केंद्र का अब और भी अधिक दबाव होगा।
पत्र में कहा गया है कि पूरे देश में करीब 2 मिलियन लोग अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं, जबकि एक मिलियन लोग उन इलाकों में रहते हैं, जिन्हें वन भूमि माना जाता है। सोरेन ने प्रधानमंत्री से गुजारिश की है कि प्रगति की आड़ में आदिवासी महिला, पुरुष और बच्चों की आवाज नहीं दबाई जाए। कानून समावेशी होना चाहिए। उन्होंने पीएम से एक कदम आगे बढ़कर इस मामले का समाधान निकालने का आग्रह किया है।
(आईएएनएस)
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