झारखंड सरकार की नियोजन नीति पर विधानसभा में भाजपा का जोरदार हंगामा
विधानसभा सत्र के दौरान हुआ हंगामा झारखंड सरकार की नियोजन नीति पर विधानसभा में भाजपा का जोरदार हंगामा
डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड विधानसभा में शनिवार को राज्य सरकार की नियोजन नीति (रिक्रूटमेंट पॉलिसी) को लेकर जबर्दस्त हंगामा हुआ। भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने सदन के अंदर और बाहर राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की। सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक वरिष्ठ विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने भी इस मुद्दे पर अपनी ही सरकारी की घेराबंदी की।
विपक्षी विधायकों के हंगामे के कारण प्रश्नकाल पूरी तरह से बाधित रहा। स्थिति यह रही कि स्पीकर को दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। पहले स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 12 बजे दिन तक के लिए स्थगित की थी। दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने सरकार से नियोजन नीति पर जवाब देने की मांग करने लगे। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार सदन में इस विषय पर जवाब नहीं देती है तब तक विरोध जारी रहेगा। इस मामले पर सरकार का वक्तव्य आना चाहिए। विपक्ष के हंगामे के कारण स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दूसरी बार 2 बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दी।
संदन के अंदर-बाहर प्रदर्शन करने वाले भाजपा विधायकों ने कहा कि इस सरकार ने पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर डोमिसाईल पॉलिसी और नियोजन नीति का विधेयक पारित कराया और अब इन विधेयकों को वापस लिए गए बगैर कैबिनेट के जरिए नई नियोजन नीति लाई गई है। सरकार पहले यह बताए कि वह बैकफुट पर क्यों आई? दरअसल यह सरकार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने सरकार पर सदन की अवमानना करने का आरोप लगाया। कहा कि अभी जो कैबिनेट से नियोजन नीति आयी है, वह 2016 वाली नीति है। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि 1932 खतियान पर आधारित नियोजन नीति को वापस क्यों लिया है?
इसके पहले विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसी सदन से नियोजन नीति पारित हुई थी और अब दो दिन पहले सरकार ने कैबिनेट से नई नियोजन नीति को मंजूरी दी है। जो विधेयक सदन से पारित हो गया उसे बिना वापस लिए फिर से कैबिनेट से पारित कराना नियम संगत नहीं है । संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि हाई कोर्ट ने सरकार की पुरानी नियोजन नीति को रद्द किया है। इसकी वजह सभी सदस्य जानते हैं। सरकार 13 मार्च को इस मामले पर सदन में जवाब देगी।
(आईएएनएस)
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