बिहार में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां की तेज, सीएम नीतीश के वोट बैंक पर पार्टी की नजर , समझें जातीय समीकरण का खेल
आम चुनाव की तैयारी में जुटी बीजेपी बिहार में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां की तेज, सीएम नीतीश के वोट बैंक पर पार्टी की नजर , समझें जातीय समीकरण का खेल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं लेकिन बिहार की सियासी पिच पर बीजेपी ने अभी से ही तैयारियां तेज कर दी है। वहीं बिहार की अन्य पार्टियां भी अगले साल होने वाले आम चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गई है। राज्य में बीजेपी बड़ा उलटफेर करने फिराक में है। बीजेपी ने दावा है कि राज्य में 40 में से 39 लोकसभा सीटें एनडीए के खाते में आएगी। इसी रणनीति के तहत पार्टी काम कर रही है।
बता दें कि 2019 में बीजेपी को 17 सीट हासिल हुई थी तो वही उनकी सहयोगी पार्टी जेडीयू को 16 और छह सीट पर लोजपा ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जेडीयू का साथ नहीं मिलेगा। इस बार जेडीयू महागठबंधन के साथ है। ऐसे में अब बीजेपी जडीयू के वोट बैंक में सेंध मारने के फिराक में जुट गई है।
1. राज्य में सीएम नीतीश के पास सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा और अति पिछड़ा जाति वर्ग का है। बीजेपी की ध्यान नीतीश कुमार के इसी वोट बैंक पर टिका है। यदि बीजेपी ऐसा करने में कामयाब रही तो बिहार में बीजेपी की सीटों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
2. पिछले साल 9 अगस्त को जब नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़कर महागठबंधन का दामन थामा था, तब से ही माना जाता है कि बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव की चिंता सताने लगी थी।
3. राज्य में बीजेपी के सरकार जाने के दौरान जेडीयू के राइट हैंड माने जाने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह जेडीयू से बाहर हो गए थे। ऐसा माना जा रहा है कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। बता दें कि आरसीपी सिंह सीएम नीतीश की जाति कुर्मी से आते हैं। ऐसे में यदि आरसीपी सिंह कुर्मी का वोट बैंक काटने में सफल हुए तो इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
4. इस वक्त बिहार में उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू से नाराज चल रहे हैं। अगर उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू छोड़कर बीजेपी में शामिल होते हैं तो कुशवाहा समाज को वोट बैंक बीजेपी को मिल सकता है। बिहार में कुर्मी वोट लगभग 5 फीसदी है। 2014 के लोकसभा चुनाव मे उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी एनडीए के साथ चुनाव लड़ते हुए 3 सीटें हासिल की थी।
5. वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी अरएलएसपी अकेले चुनाव लड़ी थी जिसका नुकसान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को झेलना पड़ा था। इस दौरान सीएम नीतीश कुशवाहा वोट को लुभाने में नाकामयाब रहे। यही वजह रही कि नीतीश कुमार की पार्टी महज 43 सीटों पर अटक रह गई। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी में शामिल होते हैं तो कुशवाहा समाज का वोट बीजेपी को मिल सकता है।
6. फिलहाल राज्य में जातीय जनगणना चल रही है इससे जातियों की गिनती हो रही है, लेकिन उप जातियों की गिनती नहीं हो रही है। वही इस जातीय जनगणना में कुर्मी को जाति बताया गया है तो वही धानुक समेत अन्य जाति को उपजाति बताया गया है, इसे लेकर राज्य में धानुक समाज बिगड़े हुए है। इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि ये दोनों जाति हमेशा से ही एक पार्टी को वोट करते आए हैं। इससे इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
7. आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में धानुक की आबादी लगभग 7 फीसदी है। यदि चुनाव तक यही हाल रहा तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है। यह वोट हमेशा से ही जेडीयू का माना जाता रहा है।
8. कुल मिलाकर कहे तो जेडीयू वोट बैंक में बीजेपी सेंध मारने की फिराक में है। यदि बीजेपी जेडीयू का वोट में अगर 40 से 50 फीसदी तक तोड़ पाती है तो बीजेपी को इसका फायदा 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।
9. इधर आरजेडी के एमवाई समीकरण को तोड़ने में बीजेपी कामयाब नहीं हो सकती है। यह बीजेपी भी जानती है इसलिए राज्य में बीजेपी की नजर जेडीयू के वोट बैंक पर लगी हुई है। बीजेपी लगातार जेडीयू के बड़े नेताओं को तोड़कर अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है।
10. बीजेपी इस बात को जानती है कि राज्य से उच्च जातियों का वोट उन्हीं के पार्टी को मिलेगा। इसलिए बीजेपी पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी यदि ऐसा करने में सफल रही है तो उन्हें एमवाई समीकरण से कोई खास नुकसान नहीं होगा। 2019 का लोकसभा चुनाव इसका उदाहरण है।