सांसद निधि पर राज्य सरकार के खिलाफ राष्ट्रपति से संपर्क करेगी बंगाल बीजेपी

नई दिल्ली सांसद निधि पर राज्य सरकार के खिलाफ राष्ट्रपति से संपर्क करेगी बंगाल बीजेपी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-28 17:00 GMT
सांसद निधि पर राज्य सरकार के खिलाफ राष्ट्रपति से संपर्क करेगी बंगाल बीजेपी

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के सभी 16 भाजपा लोकसभा सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से शिकायत करेगा कि वे स्थानीय और जिला प्रशासन से सहयोग की कमी के कारण अपने-अपने क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं पर सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीलैड) के धन को खर्च करने में असमर्थ हैं। सांसद शीघ्र ही नई दिल्ली जाएंगे और राष्ट्रपति को एक लिखित प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) सौंपेंगे। राष्ट्रपति के पास जाने से पहले वे राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिलेंगे और इस संबंध में उन्हें भी एक लिखित प्रतिनियुक्ति सौंपेंगे।

इस निर्णय की पुष्टि करते हुए, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पश्चिम बंगाल में मिदनापुर लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के सांसद, दिलीप घोष ने कहा कि राज्य सरकार जानबूझकर पार्टी के सदस्यों को उनके संबंधित एमपीलैड फंड खर्च करने में सहयोग नहीं कर रही है, ताकि इस हिसाब से उनके खर्च का आंकड़ा निराशाजनक हो और भाजपा को राजनीतिक लाभ न मिल पाए। घोष ने कहा, जिला अधिकारी भी उस समय हमारे सांसदों से मिलने से इनकार कर देते हैं, जब सांसद अपनी प्रस्तावित विकास परियोजनाओं के लिए उनके संबंधित एमपीलैड फंड से वित्त पोषण के लिए प्रशासन से संपर्क करते हैं। अब हम इस मामले को उजागर करेंगे।

यह पता चला है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में सिर्फ दो साल बचे हैं, मगर भाजपा के 16 लोकसभा सदस्यों में से कोई भी उन्हें आवंटित एमपीलैड फंड का 50 प्रतिशत भी खर्च नहीं कर पाया है। घोष के अनुसार, हालांकि पार्टी के सांसद नियमित रूप से अपना प्रस्तावित खर्च का ब्यौरा प्रशासन को सौंपते हैं, लेकिन जिलाधिकारियों, अतिरिक्त जिलाधिकारियों, अनुमंडल अधिकारियों और प्रखंड विकास अधिकारियों का एक वर्ग उन्हें रोक लेता है। इसके अलावा यह भी पता चला है कि भाजपा ऐसे नौकरशाहों की सूची तैयार कर रही है जो नियमित रूप से इस मुद्दे की अनदेखी करते रहे हैं। इसके बाद ऐसे अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की योजना है।

सांसदों का आरोप है कि यदि नियमानुसार एमपीलैड की राशि का उपयोग किसी विशेष परियोजना के लिए किया जाता है तो संबंधित सांसद का नाम सूचीबद्ध कर परियोजना स्थल पर प्रदर्शित करना होता है। घोष ने कहा, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ऐसा नहीं चाहती है और इसलिए नौकरशाह सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के निर्देश पर इस तरह के असहयोग का सहारा ले रहे हैं। वहीं दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने इस तरह के आरोपों को खारिज कर दिया है और इसे पार्टी को बदनाम करने का प्रयास बताया है।

 

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