अभिषेक बनर्जी ने 2019, 2021 में बांकुड़ा में पार्टी को खारिज किए जाने पर दुख जताया

राजनीति अभिषेक बनर्जी ने 2019, 2021 में बांकुड़ा में पार्टी को खारिज किए जाने पर दुख जताया

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-12 15:30 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को बांकुड़ा जिले के लोगों द्वारा 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को एक के बाद एक खारिज किए जाने पर गहरा दुख जताया। बुधवार को जिले में एक सार्वजनिक रैली में बनर्जी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि आगामी पंचायत चुनावों में जिले के लोगों द्वारा इसी तरह की अस्वीकृति उनकी पार्टी को जनहित में सड़कों पर उतरने से परहेज करने के लिए प्रेरित करेगी।

उन्होंने कहा, 2019 में आपने तृणमूल कांग्रेस से मुंह मोड़ लिया था और जिले की दोनों लोकसभा सीटों से भाजपा को चुना था। 2021 में भी आपने हमें खारिज कर दिया था और भाजपा को जिले की 12 विधानसभा सीटों में से आठ का तोहफा दिया था। लेकिन इसके बावजूद कि तृणमूल बांकुड़ा की जनता से दूर नहीं हुई और यहां विकास कार्य होते रहे। तृणमूल के लोकसभा सांसद ने कहा, लेकिन हम भी आपकी तरह ही इंसान हैं। इसलिए, यदि आप 2023 के पंचायत चुनाव में अपने अधिकारों के लिए मतदान नहीं करते हैं, तो तृणमूल भी आपकी मांगों के समर्थन में सड़कों पर उतरने से परहेज करेगी।

उन्होंने यह भी दावा किया कि 2019 में जिले की दोनों लोकसभा सीटें जीतने के बावजूद भाजपा के दो सांसदों से संपर्क नहीं हो पाया है। बनर्जी ने कहा, आने वाले (पंचायत) चुनाव धर्म के नाम पर नहीं लड़े जाएं। चुनाव लोगों के अधिकारों की स्थापना के लिए होने दें। चुनाव राज्य को केंद्रीय फंड से वंचित करने के खिलाफ होने दें। उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि 2019 और 2021 में बांकुरा के चुनाव परिणाम तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ जिले के लोगों की सामान्य शिकायत को दर्शाते हैं। भट्टाचार्य ने दावा किया, अगर पंचायत चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से होते हैं, तो भाजपा बांकुड़ा जिला परिषद में बोर्ड बनाएगी।

इस बीच, माकपा के राज्यसभा सदस्य विकास रंजन भट्टाचार्य ने बनर्जी की टिप्पणियों को राजनीतिक रूप से अपरिपक्व करार दिया। उन्होंने कहा, चुनावी नतीजों के बावजूद राजनीति में अंतिम उद्देश्य लोगों के साथ रहना है। इसलिए एक राजनीतिक प्रतिनिधि वास्तव में एक सार्वजनिक मुद्दे से दूर नहीं रह सकता, क्योंकि किसी विशेष क्षेत्र के लोगों ने उन्हें चुनाव में खारिज कर दिया है।

 (आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Tags:    

Similar News