वेतन नहीं दे पा रहे हैं दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेज, डीडीयू कॉलेज ने की अस्थाई वेतन कटौती

दिल्ली वेतन नहीं दे पा रहे हैं दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेज, डीडीयू कॉलेज ने की अस्थाई वेतन कटौती

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-09 10:01 GMT
वेतन नहीं दे पा रहे हैं दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेज, डीडीयू कॉलेज ने की अस्थाई वेतन कटौती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज अपर्याप्त ग्रांट के कारण अपने कर्मचारियों एवं शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं दे पा रहे हैं। कुछ कॉलेजों ने तो ग्रांट न मिलने तक शिक्षकों की वेतन कटौती भी शुरू कर दी है। इन 12 कॉलेजों में से एक दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में तो फंड की कमी के चलते असिस्टेंट प्रोफेसर्स के वेतन से 30 हजार और एसोसिएट प्रोफेसर्स व प्रोफेसर्स के वेतन में से 50 हजार रुपए रोकेने का नोटिस जारी किया है।

अपने इस नोटिस में दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के कार्यवाहक प्रिंसिपल ने कहा है कि जैसे ही फंड उपलब्ध होगा, शिक्षकों को बकाया वेतन जारी कर दिया जाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ यानी डूटा के मुताबिक दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज पिछले कई वर्षों से अपर्याप्त ग्रांट और अनियमित वेतन की समस्या से त्रस्त है। दिल्ली सरकार से समुचित ग्रांट न मिलने के चलते इन 12 कॉलेजों के शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों की सैलरी, 7वें पे कमिशन का एरियर, प्रमोशन का एरियर, मेडिकल बिल का भुगतान नहीं हो पा रहा है। चिल्ड्रन एडुकेशन अलाउंस का पैसा भी पिछले 2 वर्षों से अटका हुआ है। साथ ही 16 कॉलेजों की भी 5 प्रतिशत ग्रांट दिल्ली सरकार ने अभी तक भी जारी नही की हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने इस विषय पर दिल्ली के उपराज्यपाल से हाल ही में मुलाकात की है। डूटा अध्यक्ष प्रो ए के भागी ने आईएएनएस को बताया कि पिछले सप्ताह हुई मुलाकात के अलावा 16 जुलाई को भी डूटा के प्रतिनिधि दल ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से मुलाकात की थी। प्रोफेसर भागी के मुताबिक उपराज्यपाल के दखल के बाद दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने जो पत्र जारी किया वो भ्रमित करने वाला था। पत्र में दिल्ली सरकार ने ग्रांट की दो किस्तें जारी करने की बात कही है। जबकि कॉलेजों को मिला ग्रांट सैलरी के लिए भी पर्याप्त नहीं है। कई कॉलेजों में पिछले दो से तीन महीने की सैलरी का भुगतान नहीं हो पाया है।

प्रो भागी ने बताया कि दिल्ली सरकार की इन कॉलेजों के प्रति अनदेखी के चलते कॉलेजों में छात्राओं के लिए टॉयलेट, गर्ल्स कॉमन रूम जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी आभाव है। कॉलेजों की बिल्डिंग जर्जर हालात में है। 12 कॉलेजों में कार्यरत तदर्थ शिक्षक की पोस्ट की अप्रूवल के बिना इन शिक्षकों का कैरियर अधर में लटका हुआ है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी दिल्ली सरकार से सम्बद्ध 12 पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों की ग्रांट तुरंत रिलीज करने की मांग की है। यहां कई कॉलेजों के शिक्षकों को पिछले दो महीने से सैलरी न मिलने से स्थायी, तदर्थ, अतिथि शिक्षकों व संविदा पर काम कर रहे कर्मचारी भयावह आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। शिक्षक अपने इस परेशानी को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से भी मिल चुके हैं। कुलपति ने शिक्षकों को आश्वासन दिया कि इस संदर्भ में वे दिल्ली सरकार से बातचीत कर समाधान निकालेंगे।

विश्वविद्यालय प्रशासन से हो चुकी मुलाकातों के उपरांत अब कॉलेजों की ग्रांट रिलीज कराने की मांग को लेकर दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) का एक प्रतिनिधि मंडल उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से मिला है। शिक्षकों के इस प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि कॉलेजों में वेतन न मिलने से न केवल कर्मचारियों के सामने वित्तीय संकट खड़ा हुआ है बल्कि इससे छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी।

 

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