शरणार्थी: म्यांमार के शरणार्थियों और मणिपुर के विस्थापित लोगों को सहायता देना जारी रखेगा मिजोरम : सीएम लालडुहोमा

  • भारत-म्यांमार सीमा के एक हिस्से पर बाड़ से मुक्ति
  • सामान्य स्थिति बहाल होने तक सहयोग
  • म्यांमार का चिन समुदाय,मणिपुर की कुकी-मैतई हिंसा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-07 08:52 GMT

डिजिटल डेस्क, आइजोल। मिजोरम में शरण लेने वाले म्यांमार और मणिपुर के लोगों की सामान्य स्थिति बहाल होते तक मदद जारी रखी जाएगी। दिल्ली से लौटने पर मिजोरम के मुख्यमंत्री लालडुहोमा ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा है कि उनकी सरकार केंद्र के सहयोग से म्यांमार के शरणार्थियों और मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को सहायता प्रदान करना जारी रखेगी।

लालडुहोमा ने आगे कहा कि भले ही केंद्र म्यांमार के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा नहीं दे सकता है, लेकिन वह उन्हें राहत प्रदान करने में हमारे साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। जातीय हिंसा के कारण अपने घर छोड़कर भाग गए मणिपुर के लोगों की भी मदद की जाएगी।

मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लालडुहोमा को सूचित किया था कि केंद्र फरवरी 2021 से राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिकों को तब तक निर्वासित नहीं करेगा, जब तक कि पड़ोसी देश में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती।

सरकारी समाचार एजेंसी के मुताबिक मुख्यमंत्री लालडुहोमा ने यह भी उम्मीद जताई कि केंद्र भारत-म्यांमार सीमा के एक हिस्से पर बाड़ लगाने के कदम को रद्द कर देगा। केंद्र सरकार ने हाल ही में कहा था कि वह म्यांमार के साथ 300 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था को खत्म करने की योजना बना रही है, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर के भीतर यात्रा करने की अनुमति देती है।

केंद्र सरकार के अधिकारियों के अनुसार, अपने गृह देश में सैन्य तख्तापलट के बाद फरवरी 2021 से म्यांमार के चिन समुदाय के 31,000 से अधिक लोगों ने मिजोरम में शरण मांगी है। मणिपुर के 9,000 से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों ने मिजोरम में शरण ली है। म्यांमार का चिन समुदाय और मणिपुर का जातीय कुकी-ज़ो समुदाय मिज़ोस के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं।

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