बच्चों के फेर में छिनी मेयर साहिबा की कुर्सी, चुनावी दंगल में उतरने से पहले जानिए ये नियम
- छपरा नगरनिगम से थी मेयर
- चुनावी हलफनामे मे दी गलत जानकारी
- बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 के तहत हुई कार्यवाही
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के छपरा नगर निगम की मेयर राखी गुप्ता इस समय चर्चा में बनी हुई हैं। उन्हें तीन बच्चों की मां होने के कारण चुनाव आयोग पद से हटा दिया है। दरअसल, राखी ने अपने चुनावी हलफनामों उनके दो बच्चे होने की जानकारी दी थी, जबकि उनके तीन बच्चे थे। पूर्व मेयर सुनीता देवी ने इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग में की थी। जिसके बाद आयोग ने मामले की जांच की। जांच में राखी के खिलाफ लगे आरोप सही निकले।
राखी के खिलाफ आरोप सही पाए जाने पर निर्वाचन आयोग ने बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के मुताबिक उन्हें अयोग्य करार दे दिया। बता दें कि राखी ने पिछले साल दिसंबर में छपरा नगर निगम सीट से मेयर का चुनाव जीता था। अपने चुनावी हलफनामे में राखी ने केवल 2 बच्चे होने की जानकारी दी थी, जबकि आयोग की जांच के दौरान छपरा रजिस्ट्री ऑफिस से मिले डॉक्यूमेंट के मुताबिक उनके तीन बच्चे पाए गए, जिनके नाम बच्चे श्रेयांसी प्रकाश (14), शिवांशी प्रकाश (9) और शीर्ष प्रकाश (6) हैं।
वहीं अपनी कुर्सी छिनने के बाद राखी का कहना है कि उन्होंने अपने तीसरे बच्चे की जानकारी इसलिए नहीं दी क्योंकि उन्होंने उसे अपने रिश्तेदार को लिखित रूप से गोद दे दिया था जो कि निःसंतान थे। ऐसे में कानूनी तौर पर उनके दो ही बच्चे हैं तीन नहीं। लेकिन निर्वाचन आयोग ने नियमों का हवाला देकर उन्हें पदविमुक्त कर दिया।
इस नियम के तहत छिनी मेयर की कुर्सी
राखी की मेयर की कुर्सी छिनने की वजह बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 है। इस नियम की धारा 18 (1) (एम) के अनुसार यदि किसी नागरिक का 4 अप्रैल, 2008 के बाद तीसरी संतान हुई, तो वह नगरपालिका चुनाव नहीं लड़ सकता है। इस नियम में यह भी कहा गया है कि दो से ज्यादा संतान वाले लोग अगर कोई बच्चा गोद दे देते हैं तो उस कंडीशन में भी वो उस बच्चे के असली माता-पिता माने जाएंगे।