मध्यप्रदेश के दो विधानसभा सीट वाले आगर मालवा जिले में होता है बड़ा चुनावी घमासान, चेहरा और जाति का चलता है सिक्का

मध्यप्रदेश के दो विधानसभा सीट वाले आगर मालवा जिले में होता है बड़ा चुनावी घमासान, चेहरा और जाति का चलता है सिक्का
  • आगर विधानसभा सीट
  • सुसनेर विधानसभा सीट
  • प्रत्याशी का समाज तय करता है जीत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में शाजापुर से अलग होकर 16 अगस्त 2013 को आगर मालवा राज्य का 51 वां जिला बना है। आगर मालवा जिले में दो विधानसभा सीट आगर और सुसनेर है। चुनावी आहट में राजनीतिक दलों की ओर से लुभावने वादे और घोषणा की जा रही है। जिले में दो सीट है, जिनमें से आगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस और सुसनेर सीट पर निर्दलीय विधायक है।

आगर विधानसभा सीट

आगर विधानसभा सीट पर एक टोटका आज भी प्रचलित है कि कोई भी विधायक यहां लगातार दो बार निर्वाचित नहीं हुआ। इसलिए राजनैतिक दल को हमेशा डर लगा रहता है। जिसके चलते पार्टियां निरंतर उम्मीदवार का चेहरा बदलती रहती है। वैसे आगर विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी की जीत हुई थी। लेकिन विधायक के देहांत होने के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई।

सीट पर सौंधिया समाज के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। उसके बाद ठाकुर वोटर्स का नंबर आता है। यादव मतदाताओं की संख्या भी ठीक ठाक है।

2020 उपचुनाव में कांग्रेस से विपिन वानखेड़े

2018 में बीजेपी से मनोहर ऊंटवाल

2014 में बीजेपी से गोपाल परमार

2013 में बीजेपी से मनोहर ऊंटवाल

2008 में बीजेपी से लालजीराम मालवीय

2003 में बीजेपी से रेखा रत्नाकर

1998 में कांग्रेस से रामलाल मालवीय

1993 में बीजेपी से गोपाल परमार

1990 में बीजेपी से नारायण सिंह केशरी

1985 में बीजेपी से शकुंतला बाई चौहान

1980 में बीजेपी से भूरेलाल फिरोजिया

1977 में जनता पार्टी से सत्यनारायण

1972 में कांग्रेस से मधुकर मर्मट

सुसनेर विधानसभा सीट

संतरे की खेती और मिठास के लिए प्रसिद्ध सुसनेर ने मध्यप्रदेश का पूरे देश में नाम रोशन किया। यहां के संतरे नागपुर के संतरों से भी अधिक मीठे है। मिठास इतनी कि यहां के संतरों को खरीदने के लिए व्यापारी बांग्लादेश से आते है। किसानों को फसल के उचित दाम नहीं मिलते , जनता को बेसिक सुविधाओं का अभाव है। अस्पतालाओं में डॉक्टर की कमी है, स्वास्थ्य सेवा, पेयजल, शिक्षा व्यवस्था की हालात बदहाल है।

डॉक्टरों के न मिलने से मरीजों को राजस्थान जाना पड़ता है। सुसनेर में सोंधिया, पाटीदार, राजपूत और यादव समाज के मतदाता बहुतायत में हैं। सौधिया ठाकुऱ, राजपूत, पाटीदार,गुर्जर और वैश्य मतदाता बड़ी ताकत हैं। इसमें सबसे ज्यादा 40 हजार सौधिया ठाकुर मतदाता हैं। वहीं पाटीदार और राजपूत वोटरों का भी दबदबा है। सीट को बीजेपी गढ़ का माना जाता है। 1998 से कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज नहीं की है।

2018 में निर्दलीय विक्रम सिंह राणा

2013 में बीजेपी से मुरलीधर पाटीदार

2008 में बीजेपी से संतोष जोशी

2003 में बीजेपी से फूलचंद

1998 में कांग्रेस से वल्लभभाई

1993 में कांग्रेस से वल्लभभाई

1990 में बीजेपी से बद्रीलाल सोनी

1985 में बीजेपी से हरि भाऊ जोशी

1980 में कांग्रेस से राणा नटवर सिंह

1977 में जेएनपी से हरि भाऊ जोशी

1972 में बीजेएस से हरिभाऊ जोशी

Created On :   17 Aug 2023 8:48 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story