विधेयक पर बवाल: वृंदा करात ने राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान पर साधा निशाना, केरल की किसी भी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की दी चुनौती

  • केरल में यूनिवर्सिटी बिल को लेकर राज्यपाल और सरकार में टकराव
  • सीपीआई-एम की नेता ने राज्यपाल पर कसा तंज
  • केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का लगाया आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-02 16:07 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल में राज्य सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच चल रही तनातनी कम होने का नाम नहीं ले रही है। दोनों ही अक्सर एक दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं। इस बीच सीपीआई एम की नेता वृंदा करात ने भी राज्यपाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि राज्यपाल को सीधे चुनावी दंगल में उतर जाना चाहिए। करात ने कहा कि राज्यपाल केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर केरल की विजयन सरकार के मामलों में हस्तक्षेप करते हैं। ऐसे में उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़ना चाहिए।

विधेयक को लेकर चल रहा टकराव

गौरतलब है कि वर्तमान में केरल में पेंडिंग यूनिवर्सिटी बिल को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच तनातनी चल रही है। करात ने कहा कि "अगर माननीय राज्यपाल को सीधे राजनीति में आने में इतनी दिलचस्पी है, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए, क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं, इसलिए यह उनकी राजनीतिक समझ का हिस्सा होगा।" उन्होंने आगे कहा कि, "अगर माननीय राज्यपाल को सीधे राजनीति में आने में इतनी दिलचस्पी है, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए, क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं, इसलिए यह उनकी राजनीतिक समझ का हिस्सा होगा।"

उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि, बिल को लेकर जो भी मु्द्दे हैं उन पर राज्यपाल को मुख्यमंत्री के साथ बैठकर चर्चा करनी चाहिए। न कि हर दिन बयानबाजी कर अपने पद की गरिमा कम करनी चाहिए।

बता दें कि सरकार द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी न देने के चलते राज्य सरकार और राज्यपाल में ठनी हुई है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने इन बिलों पर बात करते हुए कहा कि, "विश्वविद्यालय विधेयक धन विधेयक है, धन विधेयक को राज्यपाल की पूर्व अनुमति के बिना विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता है। वे धन विधेयक थे, क्योंकि यदि आप राज्यपाल को हटाते हैं और व्यक्तिगत चांसलर नियुक्त करते हैं, तो कुछ खर्चों की जांच की जाएगी और फिर आपको राज्यपाल की सहमति की आवश्यकता होती। मैंने केरल सरकार से स्पष्टीकरण देने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं कर रहें।

उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालय में किसी भी स्वतंत्र स्त्रोत से फंडिग नही हो पाती हैं। इन्हें राज्य और केंद्र सरकार की ओर से किया जाता है। राज्यपाल ने आगे कहा कि ऐसे स्थिति में राज्य सरकार को उनसे अनुमति लेनी चाहिए थी। जिससे उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती।

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