बिहार को लेकर दिल्ली में बीजेपी की अहम बैठक, गठबंधन से लेकर नीतीश कुमार की 'विपक्षी एकजुटता' पर होगी चर्चा!
- बिहार जीतने के लिए बीजेपी का मास्टरप्लान
- नीतीश का खेल बिगाड़ने के लिए बीजेपी की 'तोड़' रणनीति!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव को मध्य नजर रखते हुए भारतीय जनता पार्टी अपना पैर पसारना शुरू कर दिए है। जिसकी शुरूआत बीजेपी ने बिहार से की है। दरअसल, भाजपा बिहार को लेकर काफी चिंतित नजर आ रही है क्योंकि इस बार की परिस्थिति काफी अलग है। नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ बीजेपी ने साल 2019 में आम चुनाव लड़ा था। जिसमें दोनों पार्टियों ने मिलकर 40 लोकसभा सीट में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। अगर बिहार में बीजेपी के गठबंधन को देखे तो केवल पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा ही साथ में है। भाजपा खतरे को भांपते हुए प्रदेश में छोटे-छोटे दलों को अपने साथ में लाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। जिसका असर आज (14 जून) को दिल्ली में देखने को मिलेगा। बिहार का किला फतह करने के लिए बीजेपी ने दिल्ली में अहम बैठक बुलाई है। जिसमें बिहार कोर ग्रुप के तमाम नेता मौजूद रहने वाले हैं। यह बैठक दिल्ली स्थित केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह के घर पर होने वाली है। जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष, बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े एवं बिहार प्रदेशाध्यक्ष सम्राट चौधरी जैसे कई बड़े नेता मौजूद रहने वाले हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी बिहार में एनडीए को विस्तार देना चाहती है ताकि आने वाले चुनाव में पार्टी को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। दिल्ली में होने वाली इस बैठक में विपक्षी एकता को लेकर भी चर्चा होने वाली है क्योंकि सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में 23 जून को पटना में तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए बैठक बुलाई गई है। कहा जा रहा है कि भाजपा बिहार में गठबंधन को कैसे तोड़े उस पर भी रणनीति बना सकती है। खबरें हैं कि, इस बैठक में यह तय हो सकता है कि पटना में 23 जून को विपक्षी एकजुटता की बात होगी तो उधर पार्टी बिहार सरकार के खिलाफ किसी मुद्दे को लेकर मोर्चा खोल सकती है ताकि सबका ध्यान विपक्षी एकता के बजाए भाजपा पर केंद्रीत हो जाए।
तीन मुद्दों पर दिल्ली में खास बैठक
बिहार कोर ग्रुप की मीटिंग में दो से तीन मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। पहला नीतीश के नेतृत्व में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक से ध्यान हटना और अपनी ओर केंद्रीत करना। दूसरी बात राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सम्राट चौधरी से अपनी टीम को विस्तार देने की बात कह सकते हैं क्योंकि करीब तीन महीने हो गए हैं उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभाले फिर भी उन्होंने अपना टीम नहीं बनाया है। जिस पर नड्डा चौधरी को सलाह दे सकते हैं ताकि संगठन को बिहार में मजबूत किया जा सके।
बिहार में होगा गठबंधन?
इस मीटिंग में तीसरा सबसे बड़ा और अहम फैसला गठबंधन बताया जा रहा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो, उनका कहना है कि बिहार में भाजपा के साथ केवल पशुपति पारस की रालोजपा है, नहीं तो प्रदेश में बीजेपी अकेली है। लेकिन कमजोर नहीं है अपने विरोधियों को चित्त करने के लिए पूरी दमखम रखती है फिर भी पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने के लिए किसी का साथ चाहती है ताकि पार्टी को फायदा मिल सके। दरअसल, इस बात की हवा इसलिए भी मिल रही है क्योंकि गाहे बगाहे चिराग पासवान की लोजपा-रामविलास, मुकेश सहनी की वीआईपी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलजेडी और जीतन राम मांझी की हम, ये चार पार्टियां बिहार की राजनीति में अहम फैक्टर साबित हो सकती हैं। भाजपा अपने साथ लाने के लिए विचार विमर्श कर रही है। वहीं चारों दल भी बीजेपी की ओर झूकते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि, न ही इनकी ओर से न ही बीजेपी की ओर से, ये अब तक कहा गया है कि हम गठबंधन का हिंसा होना चाहते हैं। सियासत के जानकार कहते हैं कि, बीजेपी अभी इन दलों पर वेंट एंड वॉच की मुद्रा बनाई हुई है उसको पता है अगर इनके साथ गठबंधन हुआ तो सीटों के बंटवारों में काफी मथापच्ची करना पड़ सकता है।
सीट पर फंसा पेंच?
दिल्ली में होने वाली बिहार कोर ग्रुप की बैठक में नेताओं से फीडबैक भी लिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में यह भी तय होगा कि अगर आगे चल कर गठबंधन होता है तो बाकी साथियों के लिए कितने सीट छोड़े जाने चाहिए, साथ ही भाजपा को कितने सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। इन तमाम पहलुओं पर चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है।