कृष्णा जल विवाद: कृष्णा जल बंटवारे संबंधी केंद्र के फैसले पर बीआरएस बोली, यह तेलंगाना की जीत
- केंद्र द्वारा बुधवार को कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-2 को सौंपने का निर्णय लिया गया
- बीआरएस सरकार ने इसे तेलंगाना के लोगों की जीत करार दिया
डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी जल बंटवारे का मुद्दा केंद्र द्वारा बुधवार को कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-2 को सौंपने का निर्णय लिए जाने के बाद बीआरएस सरकार ने इसे तेलंगाना के लोगों की जीत करार दिया है।
राज्य के वित्त मंत्री टी. हरीश राव ने कहा कि केंद्र सरकार ने नौ साल बाद गहरी नींद से जागकर तेलंगाना की मांग पर निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
वानापर्थी जिले में एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 की धारा 5(1) के तहत मौजूदा कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-2 के लिए आगे संदर्भ की शर्तों के मुद्दे को मंजूरी देने का केंद्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच इसके फैसले से तेलंगाना को कृष्णा के जल में अपना उचित हिस्सा मिलेगा।
उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे अविभाजित महबूबनगर जिले को लाभ होगा। कृष्णा का सबसे बड़ा जलग्रहण क्षेत्र होने के बावजूद यह जिला पानी में अपने उचित हिस्से से वंचित था। उन्होंने कहा, ट्रिब्यूनल द्वारा परियोजनावार पानी का आवंटन किया जाएगा। पलामुरु-रंगारेड्डी लिफ्ट सिंचाई और कलवाकुर्थी समेत सभी परियोजनाओं को पानी आवंटित किया जाएगा।
हरीश राव ने विवाद को ट्रिब्यूनल में भेजने में हुई लंबी देरी के लिए भी मोदी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक, केंद्र को राज्य सरकार की मांग के एक साल के भीतर ट्रिब्यूनल का गठन करना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने केंद्र को कई पत्र लिखे और मांग करने के लिए कई बार प्रधानमंत्री और केंद्री जलशक्ति मंत्री से मुलाकात की। मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। चूंकि केंद्र ने ट्रिब्यूनल गठित करने का वादा किया था, लेकिन वह चाहता था कि राज्य सरकार मामला वापस ले ले। राज्य सरकार ने केंद्र पर भरोसा कर मामला वापस ले लिया, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया।
तेलंगाना को नदी के पानी का उचित हिस्सा पाने में सफलता मिलने की उम्मीद जगने पर हरीश राव ने केंद्र के फैसले को केसीआर और तेलंगाना के लोगों की जीत बताया। आईएसआरडब्ल्यूडी अधिनियम की धारा 3 के तहत पार्टी राज्यों द्वारा किए गए अनुरोध पर केंद्र द्वारा 2004 में कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-द्वितीय का गठन किया गया था। इसके बाद तेलंगाना 2014 में अस्तित्व में आया।
पिछले महीने पलामुरु रंगारेड्डी लिफ्ट सिंचाई योजना (पीआरएलआईएस) का उद्घाटन करते हुए केसीआर ने कृष्णा नदी के पानी में राज्य का हिस्सा तय नहीं करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी। उन्होंने लोगों से भाजपा नेताओं से सवाल करने को कहा था कि केंद्र में उनकी सरकार कृष्णा जल में तेलंगाना का हिस्सा निर्धारित करने में क्यों असमर्थ है। उन्होंने कहा था कि अगर अविभाजित महबूबनगर जिले के भाजपा नेताओं में जरा भी शर्म है तो उन्हें दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से तेलंगाना का हिस्सा तय करने के लिए कहना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि राज्य सरकार कृष्णा जल में अपने हिस्से के निर्धारण के लिए सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन केंद्र ने मामले को ट्रिब्यूनल में भेजने का वादा करते हुए मामले को वापस लेने के लिए कहा। उन्होंने कहा था, ''केंद्र द्वारा सुझाव दिए जाने के बाद एक साल बीत चुका है लेकिन कुछ नहीं हुआ।''
इस बीच, केंद्रीय मंत्री और तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी ने कैबिनेट के फैसले के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "यह निर्णय न केवल तेलंगाना के लोगों को आश्वासन देता है कि केंद्र सरकार तेलंगाना के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भाजपा हमेशा तेलंगाना के लोगों के हितों को ध्यान में रखती है।"
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