कर्नाटक में बीजेपी को मिलेगा जेडीएस का साथ! पार्टी नेताओं ने दिए संकेत
- एक साथ आने की तैयारी में बीजेपी और जेडीएस!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में बीजेपी और जेडीएस के बीच गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज है। इस बीच जेडीएस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इस मामले को लेकर बड़ा बयान दिया है। शुक्रवार को कुमारस्वामी ने राज्य में अपने स्टैंड को साफ करते हुए कहा, "हमारी पार्टी ने कर्नाटक की जनता के हित के लिए बीजेपी के साथ विपक्ष के रूप में मिलकर काम करने का फैसला किया।"
कुमारस्वामी ने जानकारी दी कि उन्हें पार्टी सुप्रीमों और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने पार्टी के संबंध में अंतिम फैसला लेने को कहा है। बीजेपी के साथ गठबंधन के मामले में कुमारस्वामी ने कहा, " बीजेपी के साथ गठबंधन के बारे में बात करने के लिए बहुत समय है। बीजेपी और जेडीएस दोनों राज्य की विपक्षी दल हैं। इसलिए राज्य के हित में एक साथ काम करने का फैसला किया है।" उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी के विधायकों ने चर्चा की कि कैसे आगे बढ़ना है। विधायक दल की बैठक में गौड़ा जी ने सलाह दी है कि सभी नेताओं की राय लेने के बाद ही पार्टी संगठन के लिए और 31 जिलों में कांग्रेस सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए सभी समुदायों के प्रतिनिधित्व के साथ 10 सदस्यीय टीम का गठन करना होगा।"
पहले भी दोनों पार्टी नेताओं से मिले हैं संकेत
इससे पहले भी जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कहा था कि वह जल्द ही बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाले हैं। 17 जुलाई को उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव में भी 8 से 9 माह का वक्त बचा है। इस समय लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की बात करना थोड़ी जल्दबाजी होगी। अभी समय है। देखते हैं आगे क्या होगा? इस मसले पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि भविष्य के राजनीतिक कदम पर बात करने के बाद इस मामले में फैसला होगा। हालांकि, बीजेपी और जेडीएस के सीनीयर नेताओं की ओर से गंठबंधन के संकेत मिल रहे हैं।
कर्नाटक में इसी साल विधानसभा चुनाव हुए थे। तब जेडीएस और बीजेपी ने राज्य में अलग-अलग चुनाव लड़ा था। लेकिन बाजी कांग्रेस ने मारी। चुनाव से पहले बीजेपी और जेडीएस दोनों ही पार्टी कर्नाटक सरकार में गठबंधन का हिस्सा थीं। लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान इन दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। इसके बाद दोनों पार्टियों को हार का सामना करना पड़ा। अब जेडीएस और बीजेपी नेताओं की कोशिश है कि वह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करें, ताकि खोई हुई जमीन वापस मिल सके।