चुनावी बॉन्ड योजना: सुप्रीम कोर्ट के 'चुनावी बॉन्ड स्कीम' फैसले पर अखिलेश ने दिया रिएक्शन , भाजपा की योजना को बताया 'नाजायज नीतियों का भांडाफोड़'
- सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना पर सुनाया फैसला
- अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया
- योजना को बताया भाजपा की नाजायज नीतिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राजनीतिक गतिविधियों में फाइनेंसिंग के मद्देनजर शुरू की गई चुनावी बॉन्ड योजना को खारिज कर दिया है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने रिएक्ट किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को भाजपा की नाजायज नीतियों का भंडाफोड़ करार दिया है।
अखिलेश यादव ने किया ट्वीट
इस बारे में सपा सुप्रीमो ने सोशल मीडिया एक्स पर एक ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने लिखा, " 'इलेक्ट्रारल बांड' की अवैधानिकता और तत्काल ख़ात्मे का माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फ़ैसला लोकतंत्र के पुनर्जीवन के लिए स्वागत योग्य निर्णय है। ये भाजपा की नाजायज़ नीतियों का भंडाफोड़ है। ये फ़ैसला भाजपा-भ्रष्टाचार के बांड का भी खुलासा है। जनता कह रही है लगे हाथ भाजपाइयों द्वारा लाए गये तथाकथित पीएम केयर फंड और तरह-तरह के भाजपाई चंदों पर भी खुलासा होना चाहिए। जब करदाताओं, दुकानदारों, कारोबारियों से पिछले दसों सालों का हिसाब माँगा जाता है तो भाजपा से क्यों नहीं माँगा जाए।"
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
उधर, सुप्रीम कोर्ट की ओर से चुनावी बॉन्ड पर लिए गए फैसले की कांग्रेस ने सराहना की है। इस पर कांग्रेस का कहना है कि इससे देश में नोट के बजाए वोट की ताकत को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा ने चुनावी बॉन्ड को रिश्वत और घूसखोरी करना का स्त्रोत बना लिया था। चुनावी बॉन्ड के बारे में बात करें तो यह वित्तीय तरीका है। इस बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा मिलता था। इसे वित्तमंत्री ने साल 2017-2018 में केंद्रीय बजट में पेश किया गया था।
2017 में लाई गई थी चुनावी बॉन्ड योजना
इसकी शुरुआत साल 2017 में चुनावी बॉन्ड योजना के नाम से हुई थी। मगर, उसी साल इस योजना के खिलाफ मुख्य याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' ने 14 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। फिर, 3 अक्टूबर को इस एनजीओ की जनहित याचिका को मद्देनजर देखते हुए केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस भेजा गया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने 2 जनवरी साल 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना को अधिसूचित कर दिया था। फिर 7 अक्टूबर साल 2022 को चुनावी बॉन्ड योजना में एक साल में बिक्री के दिनों को संशोधित करते हुए 70 से 85 कर दिया गया।
फिर इसके अगले साल यानी 2023 में 16 अक्टूबर को चुनावी बॉन्ड योजना मामले की याचिकाओं को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपा दिया था। इसके बाद 31 अक्टूबर 2023 सीजीआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इन सभी याचिकओं पर सुनवाई शुरू की थी। ऐसे में कोर्ट ने नवंबर 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद 15 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस योजना को खारीज कर दिया गया था। इस पर कोर्ट ने कहा था कि यह योजना संविधान में प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है।