लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस के गढ़ में BJP के एक नेता ने बनाई अपनी अलग पहचान, कई बार दिलाई जीत, जानिए चंद्रपुर सीट का इतिहास
- लोकसभा के पहले चरण में चंद्रपुर में होगा चुनाव
- 19 अप्रैल से होगा देश में लोकसभा चुनाव
- कांग्रेस अपना किला बचाने की तैयारी में जुटी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में चंद्रपुर सीट अहम मानी जाती है। चंद्रपुर पूर्वी महाराष्ट्र के विदर्भ के अंतर्गत आता है। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद पहले चरण में महाराष्ट्र की जिन सीटों पर चुनाव होना है, उसमे चंद्रपुर सीट का नाम शामिल है। यह सीट साल 1951-52 में पहले आम चुनाव में भी शामिल थी। यहां पहले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। तब मुल्ला अब्दुल्लाभाई ताहेरली यहां के पहले सांसद निर्वाचित हुए थे। 2019 का चुनाव कांग्रेस ने जीता था और सुरेश नारायण धानोकर सांसद बने थे। लेकिन पिछले साल मई में उनका निधन हो गया था। तब से यह सीट खाली है। चंद्रपुर सीट के शुरुआती दौर के चुनावों में कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा। हांलाकि, साल 1962 और 1967 के चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशियों को भी यहां से जीत मिली। 1980 से 1991 के बीच चंद्रपुर सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। साल 1996 में पहली बार इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत का स्वाद चखा। आज हम आपको चंद्रपुर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।
चंद्रपुर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
आजादी के बाद साल 1951-1952 में देश में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था। इसी समय चंद्रपुर सीट में भी पहला चुनाव हुआ था। 1957 में दोबारा कांग्रेस की जीत हुई। इस बार वीएन स्वामी सांसद बने। साल 1962 के चुनाव में कांग्रेस को पहली बार चंद्रपुर सीट पर हार मिली और श्याम लाल शाह यहां से सांसद बने। शाह ने तब निर्दलीय चुनाव लड़ा था। हांलाकि, श्याम लाल शाह ने बाद में इस्तीफा दे दिया। जिसके चलते 1964 में उप-चुनाव हुआ। उप-चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली और जीएम कन्नमवार निर्वाचित हुए। तीन साल बाद 1967 में फिर लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस को दूसरी बार चंद्रपुर सीट गंवानी पड़ी। इस बार केएम कौशिक नाम के निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली। 1971 में कांग्रेस ने वापसी की और अब्दुल शफी सांसद बने।
इमरजेंसी के बाद कांग्रेस को लगा झटका
आपातकाल हटने के बाद साल 1977 में जाकर लोकसभा चुनाव हुए। इस बार भारतीय लोकदल को यहां जीत मिली और राजेश विश्वेश्वर राव सांसद बने। आजादी के बाद हुए आम चुनाव में चंद्रपुर सीट से पहली बार कांग्रेस के अलावा किसी दूसरी पार्टी ने यहां चुनाव जीता था। तीन साल बाद 1980 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने फिर से यह सीट जीत ली। 1980 से लेकर 1991 तक यह सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ बनी रही। इस दौरान चंद्रपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी शांताराम पोटदुखे को लगातार जीत मिलती रही।
जब भाजपा को मिली पहली जीत
साल 1996 में कांग्रेस का गढ़ बन चुकी चंद्रपुर सीट पर भाजपा को पहली जीत मिली। इस बार हंसराज अहीर सासंद बने। हांलाकि, दो साल बाद 1998 में ही कांग्रेस ने चंद्रपुर सीट पर वापसी कर ली और इस बार पुगलिया नरेशकुमार चु्न्नालाल सांसद बने। 1999 में भी चुन्नालाल चंद्रपुर सीट पर कायम रहे। साल 2004 में भाजपा ने चंद्रपुर सीट पर वापसी की और हंसराज अहीर दूसरी बार निर्वाचित हुए। अगले दो आम चुनाव साल 2009 और 2014 तक भाजपा ने चंद्रपुर सीट से चुनाव जीता और अहीर हंसराज सांसद बने रहे। साल 2019 के आम चुनाव में भाजपा की लगातार जीत का सिलसिला थम गया और लंबे समय बाद कांग्रेस ने अपने पुराने गढ़ में वापसी की।
इस बार बालूभाऊ उर्फ सुरेश नारायण धानोरकर सांसद बने। सुरेश नारायण धानोरकर तब महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी से इकलौते लोकसभा सांसद थे। पिछले साल मई में सुरेश नारायण धानोरकर का लंबी बीमारी के कारण असमय निधन हो गया था। तब से यह सीट खाली है।
क्या रहा पिछले चुनाव का रिजल्ट?
साल 2019 में भाजपा ने पिछले तीन चुनावों से चंद्रपुर सीट पर जीतते आ रहे सासंद हंसराज अहीर को अपना प्रत्याशी बनाया। भाजपा नेता अहीर को हराने के लिए कांग्रेस पार्टी ने बालूभाऊ उर्फ सुरेश नारायण धानोकर को चंद्रपुर से चुनावी मैदान में उतारा। चुनावी नतीजों में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश नारायण धानोरकर ने भाजपा प्रत्याशी अहीर हंसराज को 44 हजार 763 वोटों से शिकस्त दी। इस दौरान बालूभाऊ को 5 लाख 59 हजार 507 वोट मिले। वहीं, भाजपा प्रत्याशी हंसराज अहीर को 5 लाख 14 हजार 744 वोट मिले।
शांताराम पोटदुखे के चलते कांग्रेस का गढ़
पहले चुनाव से ही चंद्रपुर सीट पर कांग्रेस को विजय मिलती रही थी। लेकिन सांसद के तौर पर कोई ऐसा मजबूत प्रत्याशी नहीं आया जिसने लगातार अपनी दम पर कांग्रेस को जीत दिलाई हो। इसी कारण 60 के दशक में चंद्रपुर सीट से दो बार निर्दलीय सांसद चुने गए। पहले साल 1962 में श्याम लाल शाह निर्दलीय सांसद बने और 1967 में के एम कौशिक को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत मिली। साल 1980 में चंद्रपुर सीट पर कांग्रेस पार्टी की मजबूत पकड़ बनने की शुरुआत हुई। 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस ने शांताराम पोटदुखे को पहली बार चंद्रपुर सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। पोटदुखे को चुनावी नतीजों में जीत हासिल हुई थी। इसके बाद शांताराम पोटदुखे ने कांग्रेस पार्टा के टिकट पर चंद्रपुर सीट से 1991 तक लगातार तीन चुनाव लड़े और उनमें जीत हासिल की।
भाजपा की जीत में अहीर को जाता है श्रेय
चंद्रपुर सीट पर भाजपा ने चार चुनाव जीते हैं। और हर बार हंसराज अहीर ही सांसद के तौर पर निर्वाचित हुए हैं। भाजपा की जीत का मुख्य श्रेय अहीर को ही जाता है। हंसराज अहीर सबसे पहले साल 1994 में महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य चुने गए थे। इसके बाद उन्हें साल 1996 में चंद्रपुर सीट से भाजपा का टिकट मिला था। भाजपा को इस चुनाव में चंद्रपुर सीट पर पहली बार जीत मिली थी। इसके बाद अगले दो आम चुनाव हारने के बाद भी हंसराज अहीर पर भरोसा बनाए रखा और उन्हें 2004 के चुनाव में भी चंद्रपुर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। अहीर भी भाजपा की उम्मीदों पर खरा उतरे और उन्होंने इस चुनाव में भाजपा की वापसी कराई। उन्होंने न केवल यह चुनाव जीता बल्कि लगातार अगले दो चुनाव साल 2009 और 2014 में भाजपा को चंद्रपुर सीट से जीत दिलाई।
इस बार ये नेता चुनावी मैदान में
इस बार चंद्रपुर सीट से प्रतिभा धानोरकर चुनावी मैदान में हैं। बता दें कि, प्रतिभा धानोरकर बालूभाऊ उर्फ सुरेश प्रतिभा धानोरकर की पत्नी हैं। वहीं, बीजेपी ने इस सीट से महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को उम्मीदवार बनाया है। इन दोनों नेताओं के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। कांग्रेस महाराष्ट्र के इकलौते किले को बचाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। अगर कांग्रेस इस इकलौती सीट पर भी चुनाव हार जाती है तो महाराष्ट्र से पार्टी का सफाया हो जाएगा।