राष्ट्रीय: ज्ञानवापी मस्जिद : सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में 'शिवलिंग' सहित पूरे सील क्षेत्र के एएसआई सर्वेक्षण की मांग

वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को 'शिवलिंग' और पूरे 'वजूखाना' (हाथ-पैर धोने के लिए तालाब) क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की है। मस्जिद क्षेत्र मई 2022 से ही सील है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-29 15:25 GMT

नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को 'शिवलिंग' और पूरे 'वजूखाना' (हाथ-पैर धोने के लिए तालाब) क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की है। मस्जिद क्षेत्र मई 2022 से ही सील है।

अक्टूबर 2022 में वाराणसी जिला न्यायाधीश ने हिंदू पक्ष द्वारा शिवलिंग का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने के लिए दायर याचिका को मुख्य रूप से इस आधार पर खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीलिंग का आदेश पारित किया गया है।

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है, "एएसआई द्वारा सील किए गए क्षेत्र को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वेक्षण किया गया है और अब यह आवश्यक है कि सील किए गए क्षेत्र का भी एएसआई द्वारा सर्वेक्षण किया जाए, अन्यथा सर्वेक्षण का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।"

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर आवेदन में कहा गया है कि वादी और सामान्य रूप से हिंदुओं को देवता के दर्शन करने और पूजा करने का पूरा अधिकार है, क्योंकि शिवलिंग हिंदुओं और भगवान शिव के भक्तों के लिए पूजा की वस्तु है।

इसमें कहा गया है कि इस मामले में सच्चाई स्थापित करने के लिए कि चाहे जो वस्तु मिली हो, वह शिवलिंग हो या कोई फव्वारा, एएसआई द्वारा पूरे सील किए गए क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करवाना जरूरी है।

आवेदन में कहा गया है, "न्याय के उद्देश्य को पूरा करने के लिए एएसआई को पूरे सील क्षेत्र और शिवलिंग में एक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया जा सकता है कि क्या वह फव्वारा है या नहीं।"

मुस्लिम पक्ष का दावा है कि मई 2022 में वीडियोग्राफिक सर्वे के दौरान मिली वस्तु शिवलिंग नहीं, बल्कि वजूखाने के फव्वारेे का ढांचा है।

हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने जिला अदालत के समक्ष दायर अपनी रिपोर्ट में मस्जिद परिसर ('वजूखाना' को छोड़कर) के सर्वेक्षण के बाद हिंदू मंदिर के सबूत पाए।

शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी को जिला प्रशासन से सीलबंद क्षेत्र की सफाई की निगरानी करने को कहा था, जब हिंदू वादी ने एक आवेदन दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि मरी हुई मछलियों की मौजूदगी के कारण पानी की टंकी से दुर्गंध आ रही है।

याचिका में कहा गया था, "चूंकि वहां एक शिवलिंग मौजूद है, जो हिंदुओं के लिए पवित्र है, इसे सभी गंदगी, मृत जानवरों आदि से दूर रखा जाना चाहिए और यह साफ स्थिति में होना चाहिए। यह इस समय मरी हुई मछलियों के बीच में है, इसलिए भगवान शिव के भक्तों की भावनाएं आहत हो रही हैं।”

हिंदू पक्ष ने मां श्रृंगार गौरी स्थल पर निर्बाध पूजा के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी अदालत में मुकदमा दायर किया था। हालांकि, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी इस दावे का खंडन करती है कि मस्जिद एक मंदिर के ऊपर बनाई गई थी। उसका कहना है कि उस जगह हमेशा से मस्जिद ही रही है।

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