राजनीति: आरक्षण की बढ़ी सीमा 9वीं अनुसूची में हो शामिल तेजस्वी यादव

बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में गठबंधन की सरकार द्वारा जातीय गणना और उसके आधार पर बढ़ाई गई आरक्षण की सीमा को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाला जाए।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-02 08:17 GMT

पटना, 2 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में गठबंधन की सरकार द्वारा जातीय गणना और उसके आधार पर बढ़ाई गई आरक्षण की सीमा को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाला जाए।

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि जदयू और भाजपा की नियत ही नहीं है कि पिछड़ों को अधिकार मिले। उन्होंने आरक्षण में वर्गीकरण को भी सही नहीं माना।

पटना में एक प्रेस वार्ता में पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार और केंद्र सरकार यानी डबल इंजन की सरकार नहीं चाहती कि इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में डाला जाए। राजद कोर्ट में इसे लेकर अपना पक्ष रखेगी।

उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि हो सकता है नीतीश कुमार ने बाद में 9वीं अनुसूची में डालने का प्रस्ताव वापस ले लिया हो। इसको लेकर भाजपा हो या जदयू, कोई कुछ नहीं बोल रहा है। हो सकता है कि नीतीश की केंद्र सरकार नहीं सुन रही है, न बिहार में उनका कोई सुन रहा है।

तेजस्वी यादव ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर भी जदयू को घेरते हुए कहा कि इसके लिए कितना कुछ किया गया था, लेकिन सरकार द्वारा इसे साफ तौर पर मना कर दिया गया, लेकिन अब कोई कुछ नहीं बोल रहा है। तेजस्वी ने जोर देकर कहा कि नीतीश कुमार आज सरकार में हैं और अगर दबाव डालें तो भाजपा मना नहीं कर सकती।

पूर्व उप मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आरक्षण जो दिया गया है, उसमें क्रीमी लेयर और आर्थिक आधार पर तो है ही नहीं। बाबा साहेब ने आरक्षण का प्रावधान किया सामाजिक वैमनस्यता दूर करने के लिए। आज भी भेदभाव बरकरार है। केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर विसंगतियों को दूर करे। अध्यादेश लाने में कोई परेशानी नहीं है।

तेजस्वी से जब विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर उनकी अनुपस्थिति को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

बता दें कि बिहार में जाति आधारित गणना के बाद सरकार ने आरक्षण की सीमा को बढ़ा दिया है। जातीय गणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर महागठबंधन सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की सीमा 16 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 1 से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ी जाति के लिए 18 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 15 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया।

इस तरह जाति आधारित आरक्षण की कुल सीमा 50 से बढ़कर 65 हो गई। अलग से सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इसके बाद यह मामला अदालत में पहुंच गया। पटना उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी है। बिहार सरकार सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई है।

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