कूटनीति: बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के पीछे ‘आईएसआई’ के हाथ होने की आशंका सजीब वाजेद (आईएएनएस साक्षात्कार)

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद पूरे देश में राजनीतिक अस्थिरता आ गई। आंदोलनकारियों के डर से प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भारत आ गई हैं। इस बारे में आईएएनएस ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद से खास बातचीत की।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-08 12:01 GMT

नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद पूरे देश में राजनीतिक अस्थिरता आ गई। आंदोलनकारियों के डर से प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भारत आ गई हैं। इस बारे में आईएएनएस ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद से खास बातचीत की।

आईएएनएस से एक्सक्लूसिव बातचीत में सजीब वाजेद ने कहा कि उन्हें संदेह है कि विरोध प्रदर्शन के नियंत्रण से बाहर होने और लोगों को हिंसा के लिए भड़काने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और पश्चिमी देशों के कुछ समूहों का हाथ हो सकता है। पेश है बातचीत के कुछ अंश।

सवाल : बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति पर आपकी क्या राय है?

जवाब : हमारी सरकार ने दो-तीन साल पहले ही आरक्षण को हटा दिया था, लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार कोर्ट पहुंच गए। इसके बाद ही विरोध शुरू हुआ। शुरुआत में, यह विरोध छोटा था लेकिन, मुझे लगता है कि पश्चिमी समूह इन लोगों को भड़काते रहे। हम शांतिपूर्ण समाधान चाहते थे। हम चाहते थे कि न्यायिक समिति समस्या का समाधान कर जांच करे। हमने कई पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया।

लेकिन, मुझे लगता है कि कोई तो समूह था जो प्रदर्शनकारियों को भड़काता रहा। इसके बाद विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और यह मेरी मां की सुरक्षा का मुद्दा बन गया। वे (प्रदर्शनकारी) प्रधानमंत्री आवास की ओर मार्च कर रहे थे। इसके बावजूद मेरी मां आखिरी वक्त तक देश छोड़ना नहीं चाहती थीं। सैन्य हवाई अड्डे पर जाने के बाद भी उन्होंने अपनी बहन से बात करते हुए कहा कि वह देश छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी। लेकिन, मैंने उनसे बात कर कहा कि देश छोड़ दीजिए नहीं तो प्रदर्शनकारी आपकी हत्या कर देंगे, जिसके बाद वह मान गईं। आप समझिए बांग्लादेश में हालात ऐसे हैं। इस मुद्दे (आरक्षण) को जानबूझकर बढ़ाया गया है। सबसे पहले तो प्रदर्शनकारियों के पास विरोध का कोई कारण ही नहीं था। यह फैसला हमारी सरकार का नहीं था। यह फैसला अदालत का था। हमारी सरकार उच्चतम न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील कर रही थी।

शुरू में विरोध शांतिपूर्ण तरीके से था, लेकिन 15 जुलाई की रात को कुछ लोगों ने ढाका विश्वविद्यालय में 'हम रजाकार हैं' के नारे लगाते हुए मार्च करना शुरू कर दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि मेरी मां ने छात्रों को 'रजाकार' कहा था, परंतु उन्होंने किसी को भी रजाकार नहीं कहा था।

इस बात से छात्र गुस्से में आकर तेजी से विरोध प्रदर्शन करने लगे, जिसके बाद पुलिस को उन्हें रोकने के लिए अत्याधिक बल प्रयोग करना पड़ा। हमारी सरकार ने तुरंत उन पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों पर ऐसा किया था। इस घटना के बाद सरकार ने जांच के लिए न्यायिक टीम का गठन किया लेकिन पूरा घटनाक्रम प्रदर्शनकारियों के विरोध प्रदर्शन को और अधिक भड़काने के लिए रचा गया था। इससे विरोध और बढ़ गया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की। कई प्रदर्शनकारियों के पास फायर अलार्म थे। उन्होंने बंदूकों से पुलिस स्टेशनों पर हमला किया। उन्हें बंदूकें कहां से मिलीं?

सवाल : रिपोर्टों से पता चलता है कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है वह अमेरिका, चीन और पाकिस्तान के कारण है। क्या आप सहमत हैं?

जवाब : मुझे नहीं लगता कि चीन इसमें बिल्कुल भी शामिल है। चीन ने कभी भी हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया है। हम अपनी नीति से चीन का पक्ष नहीं लेते हैं, बल्कि सभी से दोस्ती रखते हैं। भारत हमारा सबसे अच्छा दोस्त है। लेकिन पाकिस्तान और आईएसआई हमेशा से स्वतंत्र बांग्लादेश के खिलाफ थे। हमने पाकिस्तान के खिलाफ देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। इसलिए, मुझे संदेह है कि इन विरोध प्रदर्शनों को भड़काने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई शामिल थी।

सवाल: क्या यह सच है कि सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को 45 मिनट के भीतर देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया था?

जवाब : यह बात सही नहीं है। वे हमसे मिले थे। मैं इस मुलाकात के पहले और बाद अपनी मां के साथ वहीं पर मौजूद था। सेना प्रमुख की ओर से ऐसा कोई अल्टीमेटम नहीं दिया गया। मेरी मां ने पुलिस और सेना को प्रदर्शनकारियों को नहीं मारने का आदेश दिया था। जब प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन करना शुरू किया तो सेना ने राजधानी ढाका के आसपास बेरिकेड्स लगाकर घेराबंदी कर दी। इस दौरान सेना मेरी मां को सुरक्षित स्थान पर ले गई। ये आरोप पूरी तरह से गलत है।

सवाल : शेख हसीना देश के लोगों को संबोधित कर रही थीं लेकिन प्रदर्शनकारियों के प्रधानमंत्री आवास की तरफ मार्च करने की वजह से उन्हें बीच में ही उन्हें रुकना पड़ा। आप इस बारे में क्या कहना चाहते हैं?

जवाब : नहीं, ऐसा नहीं है। वह इस्तीफा देने की योजना पहले से ही बना रही थीं। उन्होंने मुझसे कहा कि वह अब और खून-खराबा नहीं चाहतीं। अब वह इस्तीफा दे देंगी। लोगों को संबोधित करेंगी और संवैधानिक प्रक्रिया से सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की व्यवस्था करेंगी। लेकिन, दुर्भाग्यवश, उग्र प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास पर मार्च करने की घोषणा कर दी, जिससे उनके पास बयान देने या संबोधन करने का समय नहीं बचा।

सवाल : नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के प्रमुख होंगे। इस पर आपकी क्या टिप्पणी है?

जवाब : दुर्भाग्य से यह पूरी प्रक्रिया असंवैधानिक है। संविधान में अंतरिम सरकार का कोई प्रावधान नहीं है। दरअसल, हमारे सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि किसी भी असंवैधानिक स्थिति से निपटने के लिए आप प्रदर्शनकारियों की मांगों को पूरा नहीं कर सकते। मैं समझता हूं कि यह संविधान के तहत होना चाहिए। हालांकि, अब कुछ भी मायने नहीं रखता, क्योंकि देश में अब कोई कानून-व्यवस्था नहीं बची है। पूरे देश में दंगे, लूटपाट और बर्बरता चल रही है। ढाका शहर में थोड़ी सुरक्षा अच्छी है, क्योंकि वहां सेना तैनात है। अगर आप ढाका के बाहर सोशल मीडिया पर नजर डालें तो वहां पूरी तरह से अराजकता फैली हुई है। न कोई पुलिस है और न ही कोई कानून-व्यवस्था। मैं यह देखने के लिए इंतजार कर रहा हूं कि अंतरिम सरकार इस स्थिति पर कैसे काबू पाएगी? एक अंतरिम सरकार कानून-व्यवस्था नहीं ला सकती। इससे बांग्लादेश की स्थिति अफगानिस्तान जैसी हो जाएगी।

सवाल : मुहम्मद यूनुस ने कहा कि यह बांग्लादेश का दूसरा मुक्ति दिवस है, पहला 1971 में हुआ था। आपकी टिप्पणी?

जवाब : आज वह मुक्ति के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन यह किस तरह की मुक्ति है? अराजकता, दंगों और बर्बरता के लिए मुक्ति? क्या यह वही आजादी है जो बांग्लादेश चाहता है? अगर उन्हें लगता है कि लोग यही चाहते हैं और सब कुछ ठीक है, तो उनको इसके लिए शुभकामनाएं। लोग मर रहे हैं। देश में कोई कानून व्यवस्था नहीं है। लूटपाट हो रही है। सबको लूटा जा रहा है। क्या वह आजादी है?

उन्हें कार्यभार संभालने दीजिए और इसे साबित करने दीजिए। हम जल्द ही परिणाम देखेंगे।

सवाल : यूनुस दावा कर रहे हैं कि अब छात्रों को नौकरियां मिलेंगी क्योंकि इससे पहले उन्हें आरक्षण के कारण नौकरियां नहीं मिल रही थीं।

जवाब : यह ठीक है, उन्हें कार्यभार संभालने दीजिए। उन्हें यह कर के दिखाने दीजिए। हम इसके जल्द ही परिणाम देखेंगे।

सवाल : अब बांग्लादेश का भविष्य क्या है?

जवाब : आज बांग्लादेश सीरिया या अफगानिस्तान जैसा दिखता है। वहां कोई कानून-व्यवस्था नहीं है और देश पूरी तरह से कानून विहीन है। इसके बाद, यह मोहम्मद यूनुस की सरकार पर निर्भर करता है कि वे क्या सोचते हैं? क्या वह इसे नियंत्रित कर सकते हैं? शायद हमारे यहां फिर से लोकतंत्र होगा। यदि वह ऐसा नहीं कर सके, तो बांग्लादेश अफगानिस्तान जैसा बन जायेगा।

सवाल : क्या शेख हसीना बांग्लादेश लौटेंगी?

जवाब : वह वापस आएंगी क्योंकि मेरी मां बांग्लादेश से प्यार करती हैं। यह उनका देश है और स्थिति नियंत्रण में होने पर वह वापस जरूर आएंगी।'

सवाल : हमारे मंच के माध्यम से आपका संदेश क्या है?

जवाब : मैं जल्द ही एक लोकतांत्रिक बांग्लादेश देखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि भारत बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करे।

सवाल : बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की हत्या पर आपकी क्या राय है?

जवाब : हमारा मानना ​​है कि वे भी हमारे मतदाता हैं, इसलिए हमारी सरकार बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चाहती है। बीएनपी को जमात-ए-इस्लामी छोड़ देना चाहिए। उन्हें यह स्वीकार करना होगा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हैं। यदि वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते और इसके बावजूद वे सत्ता में आते हैं तो बांग्लादेश में अल्पसंख्यक कभी भी सुरक्षित नहीं रहेंगे।

सवाल : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी विरोध प्रदर्शन क्यों नहीं रुके?

जवाब : बिल्कुल मेरा भी यही कहना है। मुझे यकीन है कि कोई ये दंगे जानबूझ कर भड़का रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रदर्शनकारी नहीं रुके। बांग्लादेश में स्थिति को नियंत्रित करने के सभी प्रयासों के बावजूद, प्रदर्शनकारी मेरी मां का इस्तीफा चाहते थे। इससे यह साफ प्रतीत होता है कि यह पूर्व निर्धारित था।

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