स्वास्थ्य/चिकित्सा: रात के समय तापमान में वृद्धि का स्वास्थ्य पर पड़ रहा है असर विश्लेषण

पूरे भारत में इन दिनों भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है। वहीं इसी के चलते मुंबई में रात के तापमान में सबसे अधिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इस मामले में एक नए विश्लेषण से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण रात का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है। ये हर साल करीब 50 से 80 रातों में देखा गया है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-21 09:43 GMT

नई दिल्ली, 21 जून (आईएएनएस)। पूरे भारत में इन दिनों भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है। वहीं इसी के चलते मुंबई में रात के तापमान में सबसे अधिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इस मामले में एक नए विश्लेषण से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण रात का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है। ये हर साल करीब 50 से 80 रातों में देखा गया है।

क्लाइमेट सेंट्रल और क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा किए गए विश्लेषण में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण रात के समय तापमान में वृद्धि हो रही है, जिसका असर भारत और दुनिया भर में नींद की गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

जलवायु परिवर्तन के कारण दिन की तुलना में रात के तापमान में अधिक तेजी से वृद्धि देखने को मिल रही है, जिसका मुख्य कारण कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों का जलना है।

जलवायु परिवर्तन के मामले में संवेदनशील देशों में से एक भारत में पिछले दशक में रात्रि के न्यूनतम तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल रही है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, 18 जून को राष्ट्रीय राजधानी में कम से कम 12 वर्षों में सबसे गर्म रात रही। पारा 35.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। यह 1969 के बाद से शहर का सबसे अधिक न्यूनतम तापमान है।

विश्लेषण से पता चलता है कि 2018 और 2023 के बीच केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, जम्मू और कश्मीर और आंध्र प्रदेश के शहरों में जलवायु परिवर्तन के कारण हर साल लगभग 50 से 80 दिन तापमान सीमा से ऊपर चला गया।

वहीं मुंबई में रात के तापमान में सबसे अधिक बदलाव देखा गया है, शहर में ग्लोबल वार्मिंग के कारण 65 दिन अतिरिक्त गर्म रातें देखी गई हैं।

पश्चिम बंगाल और असम सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहे। यहांं जलपाईगुड़ी, गुवाहाटी, सिलचर, डिब्रूगढ़ और सिलीगुड़ी जैसे शहरों में जलवायु परिवर्तन के कारण हर साल औसतन 80 से 86 दिन पारा 25 डिग्री से ऊपर रहा।

जलवायु परिवर्तन के कारण कई शहरों का तापमान कई दिनों तक 20 डिग्री से अधिक रहा। इन शहरों में गंगटोक, दार्जिलिंग, शिमला और मैसूर शामिल हैं। यहां औसतन 26, 30, 31 और 54 रातों के तापमान में इजाफा हुआ।

रात के समय अधिक तापमान मानव के शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। रात में शरीर का तापमान बढ़ने से मौत का खतरा बना रहता है।

इसके साथ ही नींद की गुणवत्ता और अवधि पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। खराब नींद शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल रही है। इस समस्या का बुजुर्गों पर ज्यादा असर होता है।

यह सभी निष्कर्ष उस सप्ताह के दौरान सामने आए, जब कई भारतीय शहरों में रात की गर्मी के नए रिकॉर्ड देखे गए।

19 जून को दिल्ली ने अब तक के सबसे ज्यादा न्यूनतम तापमान का रिकॉर्ड तोड़ दिया। पारा 35.2 डिग्री तक पहुंच चुका था। क्लाइमेट सेंट्रल के विश्लेषण के अनुसार 2018 से 2023 के बीच दिल्ली में 25 डिग्री से ज्यादा तापमान वाली लगभग चार अतिरिक्त रातें दर्ज की गईं।

18 जून को राजस्थान के अलवर में न्यूनतम तापमान 37 डिग्री दर्ज किया गया, जो 1969 के बाद सबसे अधिक रात का तापमान था।

वहीं अलवर में लगभग नौ अतिरिक्त रातों का तापमान 25 डिग्री से अधिक देखने को मिला।

उत्तर प्रदेश में, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर और वाराणसी में भी इस सप्ताह 33 डिग्री से लेकर 33.6 डिग्री न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।

वाराणसी में 2018 से 2023 तक जलवायु परिवर्तन के कारण 25 डिग्री से अधिक तापमान वाली चार अतिरिक्त रातें देखी गईं।

रात के समय लगातार बढ़ते तापमान के कारण बढ़ते तनाव और थकावट से मौतें हो रही हैं।

वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन और क्लाइमामीटर के वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, भारत में चल रही वर्तमान हीट वेव जलवायु परिवर्तन के कारण और अधिक खतरनाक हो गया है।

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