राजनीति: पीडीपी व कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने के ऐलान का किया स्वागत
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के संबंध में तारीखों का ऐलान कर दिया। इसे लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सभी लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त किए जाने के बाद पहली बार यहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसे लेकर यहां के स्थानीय दलों की ओर से भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
श्रीनगर, 17 अगस्त (आईएएनएस)। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के संबंध में तारीखों का ऐलान कर दिया। इसे लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सभी लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त किए जाने के बाद पहली बार यहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसे लेकर यहां के स्थानीय दलों की ओर से भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
पीडीपी नेता वीरेंद्र सिंह सोनू ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किए जाने पर कहा, “मैं आपको पहले ही बता चुका हूं कि पीडीपी जम्मू-कश्मीर में पैदा होने वाली हर प्रकार की राजनीतिक स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। सोनू ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ शुरू से ही नाइंसाफी होती हुई आई है।”
उन्होंने कहा, “मैं तो कहूंगा कि केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी को जम्मू-कश्मीर के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। आपने इतने सालों तक घाटी में विधानसभा चुनाव कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। अब यहां चुनाव का मार्ग प्रशस्त किया गया है, जिसका हम सब स्वागत करते हैं और 10 सालों के बाद मुझे विधानसभा चुनाव में वोट डालने का मौका मिलेगा, लेकिन चुनाव आयोग ने प्रेस वार्ता में जो बातें कही हैं, उसे अमल में भी लाया जाना चाहिए। हम चुनाव आयोग द्वारा दिए गए बयान का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आगामी दिनों में जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होने जा रही हैं।”
उधर, जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने बयान में कहा, “मैं चुनाव आयोग के इस ऐलान के संबंध में यही कहूंगा कि देर आए, दुरूस्त आए। 2018 से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर के लोगों को विधानसभा चुनाव की उम्मीदें थीं। जब 2018 में भाजपा और पीडीपी का नापाक गठबंधन टूटा था। अगर अन्य कोई राज्य होता, तो चुनाव हो जाता, लेकिन कुछ लोगों ने जम्मू-कश्मीर को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया। इसकी वजह से चुनाव में विलंब हुआ, लेकिन मैं चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत करता हूं। ”
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