मानवीय रुचि: धर्मांतरण कानून लाकर जनहित के मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश गोविंद सिंह डोटासरा
राजस्थान में नए धर्मांतरण कानून के प्रस्ताव को भजनलाल कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है।
जयपुर, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। राजस्थान में नए धर्मांतरण कानून के प्रस्ताव को भजनलाल कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है।
गोविंद सिंह डोटासरा ने सोमवार को कहा कि भाजपा पहले भी धर्मांतरण कानून लेकर आई थी और अब वापस से कानून लेकर आई है। लेकिन यह कानून पास नहीं होगा। हर चीज के लिए पहले से कानून बना हुआ है और संविधान में भी व्यवस्था है। भाजपा सरकार ऐसे कानून लाकर जनता का ध्यान जनहित के मुद्दों से भटकाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि जब वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं, उस समय भी इस तरह का कानून लाया गया था। उसका क्या हुआ, सबको मालूम है। अब एक बार फिर उसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। भाजपा हिंदू-मुस्लिम करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रही है। भाजपा कब तक अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकेगी। जब विधेयक विधानसभा में आएगा तब उसके प्रावधान को देखने के बाद हम अपनी बातें सबके सामने रखेंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के तीन बच्चों वाले बयान पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राम मंदिर के अलावा हर रोज मस्जिदों में शिवलिंग ढूंढने की कोशिश करना गलत है। हमें हर धर्म का सम्मान करना चाहिए। यह सब चीज गलत है, जो देश में अराजकता और नफरत फैलाने वाली है। मोहन भागवत के बातों को भाजपा नहीं मान रही है, इससे ज्यादा और दुर्भाग्य क्या होगा? जिस आरएसएस के कंधे पर बैठकर और सवारी करके भाजपा सत्ता तक पहुंची है, वह मोहन भागवत की बात को नहीं मान रही है।
डोटासरा ने नगर निकाय चुनाव के बारे में कहा कि जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है और करीब एक साल होने को आया तब से जनप्रतिनिधियों और उनके कामों की अपेक्षा की जा रही है। डोटासरा ने कहा, "सबको मालूम था कि नवंबर में प्रदेश में अधिकतर नगर निकायों के चुनाव होने हैं जिसके लिए उन्हें वोटर लिस्ट और आरक्षण की व्यवस्था करने सहित अन्य काम करने थे। लेकिन सरकार हाथ पैर हाथ धरे बैठी रही, क्योंकि उनकी मंशा खराब थी। अब करीब एक महीने बाद पहले चरण में जनवरी में पंचायत राज के चुनाव होने हैं जिसकी सरकार तैयारी नहीं कर रही है। इसका मतलब स्पष्ट है कि भाजपा सरकार प्रशासक लगाकर जनप्रतिनिधियों के अधिकारों को छीनना चाहती है। भाजपा प्रशासक लगाकर ब्यूरोक्रेसी से सरकार चलाना चाहती है।
उन्होंने राजस्थान सरकार पर गुजरात मॉडल लागू करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह से गुजरात में जनप्रतिनिधि सरकार नहीं चला रहे, वैसे ही राजस्थान में उसे मॉडल को लागू किया जा रहा है। राजस्थान में जन प्रतिनिधि सरकार नहीं चला रहे हैं। आज न तो मुख्यमंत्री, मंत्री और न ही विधायकों की चल रही है। पंचायती राज के जो केंद्र से आने वाले पैसे हैं, उनको भी खातों में नहीं डाला जा रहा है। उसे अलग कामों में खर्च कर दिया गया।
उन्होंने पंचायती राज और निकायों को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा भाजपा की ब्यूरोक्रेसी से सरकार चलाने की मंशा है, जो ठीक नहीं है और जनता के हितों पर कुठाराघात है। यह जनप्रतिनिधियों का अपमान है, जिसका हम विरोध करते हैं। आज पता नहीं प्रदेश की सरकार कौन चला रहा है। 'वन स्टेट वन इलेक्शन' की बात कर रहे हैं, लेकिन कानून में कोई संशोधन नहीं, पंचायती राज कानून में नियम है कि छह महीने में अंदर-अंदर हर हाल में चुनाव करवाने पड़ेंगे, लेकिन चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं।
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