राजनीति: संभल में दिन में याचिका दायर होती है, दोपहर को उसे मंजूरी देकर शाम तक सर्वे का आदेश दे दिया जाता है रहमान खान
उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा पर पूर्व राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता के. रहमान खान ने सत्ताधारी पार्टी से नाराजगी जताई है। उन्होंने इसमें हुई जल्दबाजी पर भी सवाल उठाया।
बेंगलुरु, 27 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा पर पूर्व राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता के. रहमान खान ने सत्ताधारी पार्टी से नाराजगी जताई है। उन्होंने इसमें हुई जल्दबाजी पर भी सवाल उठाया।
रहमान खान ने आईएएनएस से कहा, "संभल में जो हो रहा है, उस पर हमें शर्म आती है। हमारी न्यायपालिका क्या कर रही है? एक दिन याचिका दायर होती है, दोपहर को उसे मंजूरी मिल जाती है, और शाम तक सर्वे का आदेश दे दिया जाता है। क्या ऐसा कहीं और होता है? यह क्या है, एक दिन में याचिका आई, निर्णय लिया, और सर्वे के लिए आयुक्त नियुक्त कर दिया? तो क्या यह न्याय है? प्रदर्शनकारियों ने कई तरह के सीसीटीवी फुटेज दिखाए हैं, जिनमें वहां के दो गुटों के बीच आपसी झगड़े भी दिखाई दे रहे हैं। हो सकता है कि यह झगड़ा वास्तविक हो, लेकिन सवाल यह है कि असली मुद्दा क्या है? आपके पास मुद्दा क्या है? अगर आपके पास धार्मिक स्थानों के बारे में कुछ है, तो क्यों लोगों को धोखा देने के लिए ऐसी कार्रवाई की जा रही है?"
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर उन्होंने कहा, "लगातार खबरें आ रही हैं कि वहां के एक पुजारी को गिरफ्तार कर लिया गया, और जब भारत ने इसका विरोध किया, तो बांग्लादेश ने उसे नकार दिया। हम अपने दोनों देशों की सरकारों के बीच होने वाले समझौते की बात कर रहे हैं, जो पाकिस्तान और भारत के बीच नेहरू-लियाकत समझौते के तहत है, जिसका उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखना है। यह समझौता आज भी लागू है। हम क्यों इस पर चर्चा नहीं करते? जब मैं महाराष्ट्र का मंत्री था, तब यह विषय मेरे मंत्रालय के अंतर्गत आता था। मैंने बांग्लादेश की यात्रा की थी, वहां के अधिकारियों से चर्चा की थी, और हिंदू समुदाय के लोगों को बुलाकर उनके मुद्दों पर बात की थी।"
उन्होंने कहा कि इस प्रयास को हमें जारी रखना चाहिए। जब तक यह समझौता लागू है, हमारे पास अधिकार है कि हम सवाल उठा सकते हैं। बांग्लादेश हमें कह नहीं सकता कि हम उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। जब मैं मंत्री था, मैंने बांग्लादेश यात्रा की थी, और वहां के मुद्दों पर चर्चा की थी। अब इस समस्या को हल करना चाहिए, क्योंकि दोनों देशों के लोग एक जैसे हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा दी गई गारंटियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह सरकार का हिस्सा नहीं हैं। वह इतना ही कह सकते हैं कि पार्टी ने अपने बजट में इन गारंटियों के लिए पर्याप्त आवंटन किया है। हो सकता है कि सरकार को कुछ कठिनाई हो रही हो, जैसे कि अनुदान में देरी हो रही हो, लेकिन सरकार इस पर काम कर रही है।
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