स्वास्थ्य/चिकित्सा: आयुर्वेद कहता है आहार ही औषधि, सर्द मौसम में स्वस्थ रहने के लिए खान-पान का रखें खास ख्याल

आयुर्वेद ऋतु अनुसार आहार की बात करता है। हमारे पुरातन ग्रंथों में भी इसका जिक्र है। आचार्य कश्यप ने आहार को महाभैषज्यम् कहा है अर्थात् कोई भी औषधि भोजन के समान लाभकारी नहीं होती। इसके मुताबिक भोजन सबसे अच्छी औषधि है। आहार के नियमों का पालन जरूरी है अगर नियम के अनुसार इसका पालन करते हैं तो औषधि की भी जरूरत नहीं पड़ती।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-27 03:54 GMT

नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। आयुर्वेद ऋतु अनुसार आहार की बात करता है। हमारे पुरातन ग्रंथों में भी इसका जिक्र है। आचार्य कश्यप ने आहार को महाभैषज्यम् कहा है अर्थात् कोई भी औषधि भोजन के समान लाभकारी नहीं होती। इसके मुताबिक भोजन सबसे अच्छी औषधि है। आहार के नियमों का पालन जरूरी है अगर नियम के अनुसार इसका पालन करते हैं तो औषधि की भी जरूरत नहीं पड़ती।

ऋतु चक्र बदलते ही शरीर में भी कई बदलाव होने लगते हैं। मानसिक और शारीरिक रूप से हम थका हुआ महसूस करते हैं इसलिए जरूरी है कि खाने पीने की आदतों में सुधार लाएं।

श्रीमद्भागवत गीता और मनुस्मृति भी तो आहार का मन पर पड़ने वाले प्रभाव का जिक्र करते हैं। सात्विक, राजसिक और तामसिक भोजन की बात करते हैं जिसमें सात्विक आदर्श तो तामसिक निम्न दर्जे का माना जाता है।

तो सर्दी के मौसम में खुद को स्वस्थ और एक्टिव रखने के लिए आयुर्वेद खास टिप्स देता है।

सर्दियों के मौसम में शरीर को गर्म रखने और त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए घी, सरसों का तेल और नारियल तेल को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इसमें मौजूद फैट्स शरीर के ऊतकों द्वारा अवशोषित होते हैं और न केवल शुष्क त्वचा को ठीक करने में मदद करते हैं, बल्कि विटामिन ए, ई, के और डी के अवशोषण में भी मदद करते हैं। इन विटामिनों की कमी से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, खासकर विटामिन डी की कमी से डिप्रेशन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

सर्दियों के मौसम में गाजर, शकरकंद, चुकंदर और भरपूर मात्रा में मिलती हैं। ये सब्जियां विटामिन, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम और आयोडीन से भरपूर होती हैं और सर्दियों में होनेवाली ओवरइटिंग की समस्या से बचने में मदद करती हैं। इनके सेवन से पेट भरा-भरा महसूस होता है, जिससे आपको ज्यादा खाने की आदत नहीं होती। इसके अलावा, ये आपके ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती हैं और डायबिटीज के खतरे को कम करती हैं।

सर्दियों में साबुत अनाज जैसे ओट्स, जौ और मक्का का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। ये साबुत अनाज आपको ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ आपके शरीर को गर्म रखता है। सर्दी के मौसम में साबुत अनाज बेहद उपयोगी हैं, क्योंकि ये शरीर में जमा कार्बोहाइड्रेट को आसानी से तोड़ने में मदद करते हैं। वहीं, सर्दियों में ठंडे और कच्चे खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चाहिए, क्योंकि ये शरीर को सुस्त बना सकते हैं। ठंडे जूस, स्मूदी और कच्चे खाद्य पदार्थ शरीर की गर्मी को बाहर निकाल सकते हैं, जिससे शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है। इसके बजाय, गर्म सूप, हर्बल चाय और हल्दी वाला दूध पीना चाहिए, जो शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ इम्यूनिटी को भी मजबूत करता है।

मसाले न केवल खाने में स्वाद और सुगंध बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर को गर्म भी रखते हैं। सर्दियों में मसाले आपके ब्लड शुगर को नियंत्रित करने, परिसंचरण को बेहतर बनाने और पाचन क्रिया को सुचारू रखने में सहायक होते हैं। साथ ही, मसाले मानसिक रूप से आरामदेह होते हैं और आपके मूड को भी बेहतर बनाते हैं।

सर्दियों में हर रोज गर्म तेल से शरीर की मालिश करना न केवल शरीर को गर्म रखता है, बल्कि यह त्वचा को मुलायम और कोमल भी बनाए रखता है। एक्सरसाइज करने से पहले गर्म तेल से मालिश करना शरीर के टिश्यू में गहराई से प्रवेश कर शरीर को गर्म और स्वस्थ रखता है। इसके अलावा, सर्दियों में व्यायाम करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह शरीर को सक्रिय बनाए रखने, कैलोरी जलाने, हड्डियों को मजबूत करने और पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करता है। चाहे मौसम कोई भी हो, रोज़ाना हल्का-फुल्का व्यायाम करना चाहिए।

आयुर्वेद के मुताबिक सर्दियों में पाचन अग्नि अच्छी होती है इसलिए इसका ध्यान रखना चाहिए। उपवास से बचना चाहिए और अगर उपवास किया या कम मात्रा में भोजन किया तो पाचन अग्नि शरीर की संरचना को जला देती है और वात का प्रकोप बढ़ा देती है जिससे रोग घेर सकता है। वात से रूखापन आता है। तो अच्छा है कि जंक फूड को तौबा करें और गर्म तासीर वाले देसी फूड्स से नाता जोड़ लें।

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