राजनीति: बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का रंजीत रंजन ने किया स्वागत

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया। यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा में है। कांग्रेस पार्टी की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन ने इसे सकारात्मक कदम बताया है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-13 18:37 GMT

नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया। यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा में है। कांग्रेस पार्टी की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन ने इसे सकारात्मक कदम बताया है।

रंजीत रंजन ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी हमेशा से बुलडोजर संस्कृति के खिलाफ रही है क्योंकि यह संविधान और कानून के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उस व्यापक समस्या का समाधान है, जिसमें बुलडोजर का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध और डर पैदा करने के लिए किया जा रहा था।

उन्होंने कहा कि यह लोगों के साथ अन्याय था और यह उनके मूल अधिकारों का उल्लंघन था। यह बहुत दुखद था कि उत्तर प्रदेश से शुरू होकर कई राज्यों में यह बुलडोजर अभियान राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बन गया था, जिसका उद्देश्य केवल लोगों को डराना और धमकाना था। ऐसे कदमों से संविधान और आम जनता की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं।

रंजीत रंजन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह कार्रवाई कानून के दायरे में होनी चाहिए और यदि कोई अधिकारी इस प्रकार की हरकतें करता है तो उसे दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम तो यह भी कह रहे हैं कि जो आदेश देने वाले अधिकारी हैं, उन्हें भी दंडित किया जाना चाहिए।"

उन्होंने भाजपा और उसके मुख्यमंत्रियों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सब राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा था और भाजपा और उनके मुख्यमंत्री खुद को देश के संविधान और कानून से ऊपर समझते हैं। आज सुप्रीम कोर्ट ने उनका असली चेहरा दिखाया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह संदेश दिया है कि लोकतंत्र में "किसी भी प्रकार की गुंडागर्दी और असंवैधानिक कार्रवाई" को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को असंवैधानिक और गैर-कानूनी बताते हुए कहा कि घर हर किसी का सपना होता है और उस सपने को नहीं तोड़ा जाना चाहिए। आवास का अधिकार हर किसी के मूल अधिकार का हिस्सा होता है। बुलडोजर कार्रवाई से पहले नोटिस दिया जाना चाहिए। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि नोटिस के 15 दिनों के अंदर कोई भी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इस बीच, संबंधित पक्ष को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर निर्धारित प्रक्रिया पूरी किए बगैर बुलडोजर एक्शन होगा, तो संबंधित अधिकारियों से हर्जाना भी वसूला जाएगा।

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