राष्ट्रीय: पूर्व केंद्रीय मंत्री दलबीर सिंह ने अपना जीवन वंचितों, गरीबों के लिए समर्पित किया कुमारी शैलजा
पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा ने चौधरी दलबीर सिंह की 37वीं पुण्यतिथि पर हवन में हिस्सा लेकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
हिसार, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा ने चौधरी दलबीर सिंह की 37वीं पुण्यतिथि पर हवन में हिस्सा लेकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस दौरान सांसद, विधायक, पूर्व विधायक और बहुत से कांग्रेस पदाधिकारियों सहित काफी संख्या में गणमान्य लोगों ने स्व. चौ. दलबीर सिंह के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित करके उनके द्वारा किए गए जनकल्याण के कार्यों को याद किया।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा ने अपने पिता स्व. चौ. दलबीर सिंह की रचनात्मक सोच की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीब, मजदूर, शोषित और वंचित लोगों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया।
उन्होंने कहा कि आज की राजनीति में उनके आदर्शों को अपनाने की जरूरत है।
पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री चौ. दलबीर सिंह द्वारा हरियाणा के विकास के लिए किए गए कार्यों को याद करते हुए सभी उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गईं।
चौ. दलबीर सिंह ने हमेशा सिद्धांतों की राजनीति की और हर वर्ग के विकास के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे। पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री चौ. दलबीर सिंह का जन्म हिसार जिले के प्रभुवाला गांव में हुआ। उस समय पंजाब और हरियाणा का क्षेत्र संयुक्त पंजाब कहलाता था।
उन्होंने पंजाब से अलग होते हरियाणा को करीब से देखा और बदलते राजनीतिक परिदृश्य को भी गंभीरता से समझा। चौ. दलबीर सिंह पर शुरू से ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू का काफी प्रभाव रहा। वह गांधीवादी विचारधारा और पंडित नेहरू की आधुनिक भारत के नवनिर्माण की विचारधारा का अनुसरण करने लगे।
चौ. दलबीर सिंह को चार बार सांसद बनने का मौका मिला। सिरसा लोकसभा का नेतृत्व करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी बड़ी कुशलता और तत्परता से संभाली।
विभिन्न विभागों में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य करते हुए चौ. दलबीर सिंह ने देशहित के बहुत से निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह हमेशा ग्रामीण अंचल से जुड़े रहे और और विभिन्न योजनाएं लागू करने में विशिष्ट भूमिका निभाई। आज भी उस दौर के बुजुर्ग उनकी सादगी, ईमानदारी और काम के किस्से गांव-घरों में सुनाते नजर आते हैं।
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