राजनीति: जनगणना में भाजपा सभी वर्गों का ख्याल रखेगी प्रतुल शाह देव
देश में जनगणना 2025 में होने की उम्मीद है, और इसके आंकड़े 2026 तक उपलब्ध हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि इस बार जनगणना में कई नए पहलुओं को शामिल किया जाएगा। इस जनगणना में कई नए सवालों और विकल्पों को जोड़े जाने की योजना के बारे में भी कयास लगाया जा रहा है। खबरों की मानें तो यह पहली बार होगा जब जनगणना में संप्रदाय से संबंधित सवाल पूछे जा सकते हैं। कहा जा रहा है कि लोगों से उनके संप्रदाय से जुड़ी जानकारी देने का आग्रह किया जाएगा। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को सामान्य श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन इसे एक अलग संप्रदाय के रूप में भी पहचाना जाता है।
रायपुर, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश में जनगणना 2025 में होने की उम्मीद है, और इसके आंकड़े 2026 तक उपलब्ध हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि इस बार जनगणना में कई नए पहलुओं को शामिल किया जाएगा। इस जनगणना में कई नए सवालों और विकल्पों को जोड़े जाने की योजना के बारे में भी कयास लगाया जा रहा है। खबरों की मानें तो यह पहली बार होगा जब जनगणना में संप्रदाय से संबंधित सवाल पूछे जा सकते हैं। कहा जा रहा है कि लोगों से उनके संप्रदाय से जुड़ी जानकारी देने का आग्रह किया जाएगा। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को सामान्य श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन इसे एक अलग संप्रदाय के रूप में भी पहचाना जाता है।
इस पर छत्तीसगढ़ भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने आईएएनएस से विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा, “कयासों पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। हमारी राष्ट्रीय पार्टी है। एक बार केंद्र सरकार को तय कर लेने दीजिए, किन पैमानों पर किन मापदंडों पर जनगणना होगी। उसके बाद ही इस पर विस्तृत प्रतिक्रिया देना उचित होगा। लेकिन हम सभी वर्गों का ख्याल रखेंगे। क्या उसकी फॉर्मेलिटी होगी, वह सब केंद्रीय कैबिनेट तय करेगी। लेकिन कांग्रेस को कुछ चीजों पर जवाब देना चाहिए कि 2011 में जातिगत जनगणना हुई थी, उसके आंकड़ों को क्यों दबाया गया। 1951 तक आदिवासियों की जनगणना होती थी। उसमें सरना धर्म कोड का कॉलम था, उसे 1961 में जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने क्यों हटाया ।
उन्होंने आगे कहा, “यह लोग जो बात करते हैं कि जनगणना में जाति की, सरना धर्म कोड की...तो पहले उन्हें बताना चाहिए कि इनको हटाया क्यों था। जहां तक हमारी बात है तो इस पर गहन मंथन चल रहा है। शीर्ष नेतृत्व स्तर पर और जातिगत जनगणना की जो भी स्थिति है, वह आपके सामने आएंगी।”
बता दें कि इससे पहले साल 2011 में जब अंतिम जनगणना हुई थी, तो उस समय देश की जनसंख्या बढ़कर 1.21 अरब (1,21,08,54,977) हो गई थी। पिछले एक दशक में 17.7 फीसद आबादी बढ़ी थी। 2011 की जनगणना के मुताबिक, उस दौरान देश में पुरुषों की आबादी 62 करोड़ से अधिक थी और महिलाओं की जनसंख्या 58 करोड़ से अधिक बताई गई थी।
इससे पहले साल 2021 में देश में नई जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड की वजह से ये टल गई। इसके अब 2025 में होने की उम्मीद है। इससे पहले देश के जनगणना आयुक्त और रजिस्ट्रार जनरल मृत्युंजय कुमार नारायण का कार्यकाल भी बढ़ाया गया था, उनका कार्यकाल 2026 तक के लिए किया गया है।
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