समाज: मंडी में मस्जिद विवाद हिन्दू संगठनों ने किया प्रदर्शन, प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार

हिमाचल प्रदेश के शिमला के बाद अब मंडी में मस्जिद विवाद शुरू हो गया है। मंडी में अवैध मस्जिद के खिलाफ हिन्दू संगठनों ने शुक्रवार को विरोध-प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में हिन्दू संगठन के लोग प्रदर्शन में शामिल हुए और अवैध मस्जिद को गिराने की मांग की।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-13 13:02 GMT

मंडी, 13 सितंबर (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के शिमला के बाद अब मंडी में मस्जिद विवाद शुरू हो गया है। मंडी में अवैध मस्जिद के खिलाफ हिन्दू संगठनों ने शुक्रवार को विरोध-प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में हिन्दू संगठन के लोग प्रदर्शन में शामिल हुए और अवैध मस्जिद को गिराने की मांग की।

इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों की मांग है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को मंडी से बाहर किया जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मस्जिद सरकारी जगह पर बनाई गई है, इसलिए इसे तोड़ना होगा। प्रदर्शनकारियों की ओर से सेरी मंच से आक्रोश रैली शुरू की गई थी जिसे पूरे बाजार से होते हुए मस्जिद तक ले जाने की योजना थी। प्रदर्शनकारी जैसे ही मस्जिद के करीब पहुंचे पुलिस और प्रदर्शनकारियों में धक्का-मुक्की हुई। इसके बाद उन पर वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया गया।

इन सब के बीच, मंडी एसपी साक्षी वर्मा ने मौके पर पहुंचकर मस्जिद के आसपास की स्थिति का जायजा लिया है। उन्होंने कहा कि आधिकारिक तौर पर हिंदू संगठनों की तरफ से उन्हें कुछ नहीं बताया गया है। धारा 163 तोड़ने वालों सभी लोगों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। मंडी में दाखिल होने वाले सभी चेक प्वाइंट्स पर नाके लगाए गए हैं और पंजाब पुलिस से वज्र वाहन मंगवाया गया है।

बता दें, इससे पहले शिमला के संजौली मस्जिद को लेकर सियासी तपिश बढ़ी हुई थी। इन सब के बीच गुरुवार को अवैध मस्जिद हटाने को लेकर मस्जिद कमेटी ने नगर निगम को ज्ञापन सौंपा था। मस्जिद कमेटी ने अपने पत्र में लिखा, “प्रशासन की जांच में मस्जिद का निर्माण अवैध बताया गया है। मस्जिद कमेटी खुद इस विवादित हिस्से को ध्वस्त करना चाहती है।”

मुफ्ती मोहम्मद ने कहा, “दुनिया में सभी को एक-दूसरे की जरूरत होती है। लिहाजा शहर में शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें हमने लिखा है कि जितना हिस्सा कानून की नजर में अवैध है, उतने हिस्से को फिलहाल बंद कर दिया जाए। इसके अलावा, हमने यह गुजारिश भी की है कि जो हिस्सा अवैध है, कॉरपोरेशन सोच-विचार कर और कानूनी पहलुओं को देखकर हमें बता दें और हमें इजाजत दें कि हम उस हिस्से को खुद ही हटा देंगे।”

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