राजनीति: हेमंत सोरेन का नाम सुनते ही हिमंत बिस्वा की खत्म हो जाती है हिम्मत जेएमएम
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को सीएम हेमंत सोरेन से चिढ़ है। हेमंत का नाम सुनते ही असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की हिम्मत खत्म हो जाती है।
रांची,18 जुलाई (आईएएनएस)। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को सीएम हेमंत सोरेन से चिढ़ है। हेमंत का नाम सुनते ही असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की हिम्मत खत्म हो जाती है।
उन्होंने कहा कि ''भाजपा सिर्फ उसका विकास करती है, जो उनके साथ रहता है। लोकसभा चुनाव में उन्होंने अल्पसंख्यको को टिकट नहीं दिया। सिर्फ राजस्थान की एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार रहता है। वो देश की 20 प्रतिशत जनसंख्या को मौका नहीं देते हैं। यह बात तो पहले से ही स्थापित थी, लेकिन अब उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि भाजपा में अल्पसंख्यक मोर्चा की कोई जरूरत नहीं है। इसको बंद कर देना चाहिए।''
''असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड में आकर सिर्फ घुसपैठ और मदरसा की बात की, जबकि घुसपैठियों की सबसे बड़ी तादाद त्रिपुरा में ही है। वहां आठ सालों से भाजपा की सरकार है। 10 सालों से सीमा सुरक्षा की भी जिम्मेदारी है।''
वो यहां आकर कहते हैं कि मदरसा बंद होना चाहिए। मैं कहना चाहूंगा कि मदरसे के अंदर धार्मिक तालीम दी जाती है, जो किसी से छुपी नहीं है। यूपी, गुजरात, बिहार समेत कई ऐसे प्रदेश हैं, जहां राज्य के अलावा बहुत सारे ऐसे मदरसे हैंं, जो केंद्र सरकार के पैसों से चलते है। भाजपा शासित प्रदेशों में इनको मदरसों से ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। वो झारखंड में मदरसे की बात करते हैं, क्या मदरसे में ऐसी बातें होती हैं, जो इस प्रदेश और देश के लिए खतरनाक है ?
सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा, ''मैं हिमंत बिस्वा सरमा से पूछना चाहता हूं कि असम के आदिवासियों को अनुसूचित जाति का दर्जा कब देंगे ? जिन्हें आप 'ट्री टाइब' कहते हैं और झारखंड में आकर आदिवासी सम्मान की बात करते हैं।
नई लोकसभा का उद्घाटन हो रहा था तो पूर्व दलित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को कार्यक्रम में क्यों नहीं बुलाया गया ? लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देते समय द्रौपदी मुर्मू खड़ी रहीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठे रहे। यह कौन सा आदिवासी सम्मान है ?''
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