मनोरंजन: 'महारानी' वेब सीरीज की कहानी को बिहार की राजनीति से जोड़कर देखा जाना असल में हमारी सफलता उमाशंकर सिंह

ओटीटी पर बिहार की पृष्ठभूमि पर बनी दो वेब सीरीज 'महारानी' और 'खाकी : द बिहार चैप्टर' ने दर्शकों का जमकर मनोरंजन किया। दोनों ही वेब सीरीज की कहानी को उमाशंकर सिंह ने लिखा है। उमाशंकर इससे पहले एक हिंदी फिल्म 'डॉली की डोली' भी लिख चुके हैं। तब, अरबाज खान प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म को भी क्रिटिक ने खूब सराहा था।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-22 10:08 GMT

नई दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। ओटीटी पर बिहार की पृष्ठभूमि पर बनी दो वेब सीरीज 'महारानी' और 'खाकी : द बिहार चैप्टर' ने दर्शकों का जमकर मनोरंजन किया। दोनों ही वेब सीरीज की कहानी को उमाशंकर सिंह ने लिखा है। उमाशंकर इससे पहले एक हिंदी फिल्म 'डॉली की डोली' भी लिख चुके हैं। तब, अरबाज खान प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म को भी क्रिटिक ने खूब सराहा था।

ऐसे में फिल्म राइटर उमाशंकर सिंह से आईएएनएस से बातचीत में अपने दिल्ली से मुंबई तक के सफर और पत्रकारिता से फिल्म इंडस्ट्री तक की अपनी जर्नी के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने राजनीति और सिनेमा के बीच की समानता और अंतर पर भी अपनी राय रखी।

उमाशंकर सिंह ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा कि राजनीति और सिनेमा दोनों बिजनेस है, पर दोनों बहुत अलग किस्म का बिजनेस है। उन्होंने साफ कहा कि राजनीति तिकड़मी लोग चलाते हैं और सिनेमा क्रिएटिव लोग बनाते हैं।

वेब सीरीज 'महारानी' की कहानी बिहार की राजनीति से प्रेरित होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सब कुछ कहीं न कहीं से प्रेरित होता है या कहीं न कहीं से प्रेरित लगता है। हमारी 'महारानी' बिहार की राजनीति से प्रेरित नहीं है, प्रेरित लग रही है। उसकी एक तो ये वाजिब वजह है कि हमारी नायिका रानी भारती बिहार की एक्सीडेंटल सीएम बनती है। बिहार में अब तक एक ही महिला सीएम बनीं हैं। वो भी एक्सीडेंटल सीएम थीं। तो तुलना का आधार बनता है। पर इसके अलावा दोनों में कोई समानता नहीं है। दोनों की अलग-अलग जर्नी है। इसके बावजूद भी लोग यदि इसे बिहार या देश की राजनीति से जोड़ के देखते हैं तो असल में यह हमारी सफलता है।

उनसे जब सवाल किया गया कि 'महारानी' वेब सीरीज के अंतिम दो सीजन का जब-जब टीजर या ट्रेलर आया बिहार में सरकार बदल गई, क्या यह महज इत्तेफाक था या कुछ और? तो, उन्होंने कहा कि ये इत्तेफाक ही है, मगर ये थोड़ा विचित्र इत्तेफाक है और ये इतनी बार हो गया कि हम पर लोग इसे आरोप की तरह चस्पा भी करने लगे हैं। इसके बदले उन्हें अपने नेताओं से पूछना चाहिए कि क्यों 'महारानी' आने से पहले वे इतना उल्टासन करके हमारी मार्केटिंग करते हैं? वैसे सवाल तो ये होना चाहिए कि कभी भी क्यों करते हैं? हमारी राजनीति में सरेआम कुछ भी बोलकर सरपट पलट जाना इतना आसान क्यों हो गया है? हमारी राजनीति का आलम ये है कि ड्रामा में जो दिखाते हुए हमें अजीब लगता है उससे कई गुना ज्यादा वे रियल में करने से नहीं झिझकते।

अपनी आगामी फिल्म या वेब सीरीज के बारे में आईएएनएस को उमाशंकर सिंह ने बताया कि मेरी आने वाली फिल्में उन विषयों पर है, जिसे यहां कभी छुआ नहीं गया है। अभी हम कास्टिंग के प्रोसेस में हैं। एक बार जब ये ऑफिसियल हो जाए तब इसके बारे में विस्तार से बात की जा सकती है।

पहली फिल्म 'डॉली की डोली' के बाद बड़े पर्दे से उनके गायब रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके पीछे की वजह मैं ही हूं। असल में 'डॉली की डोली' मुझे मुंबई आते ही मिल गई थी। अरबाज खान इसे 'दबंग' और 'दबंग 2' के बाद बना रहे थे। मैं तब इंडस्ट्री को ज्यादा समझता नहीं था। मुझे नहीं पता कि इसे आगे कैसे परश्यू करूं। इंडस्ट्री मुझे उस वक्त कुछ खास तरह के काम ही दे रही थी, जबकि मैं अपने लिए कुछ अलहदा चाहता था। मुझे समझना चाहिए था कि ये प्रयोग करने का नहीं, टिकने का समय है तो मैंने उन दिनों कुछ गलत फैसले लिए। कई फिल्में करने से इनकार कर दिया। कई बन रही थी जो अटक गई और मैं घेरे से बाहर हो गया। घेरे में फिर से घुसने में समय लगा। सिनेमा का दरवाजा बंद तो बहुत आसानी से हो जाता है पर खुलता मुश्किल से है। उसी दरवाजे को धक्का देने में, दोबारा खोलने में वक्त लग गया। पर उस वक्त ने और उस जद्दोजहद ने काफी कुछ सिखाया।

उनसे जब पूछा गया कि दिल्ली में पत्रकारिता से सीधे मायानगरी में कदम रखने पर उनको कैसा महसूस हुआ तो उन्होंने कहा कि यह सफर मजेदार, रोमांचक, तूफानी रहा। एक तो अपने को बचाए और टिकाए रखने की जद्दोजहद और दूसरा फिल्मों के बनने का टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता और उसके खट्टे-मीठे अनुभव। एक तो मुंबई की बाहरी दुनिया से तालमेल, द्वंद्व-प्यार का संबंध और दूसरा आपके भीतर आपके कहानियों के किरदारों से सजी पूरी दुनिया। ये सिर्फ इसी पेशे में हो सकता है। फिर देखते-देखते ओटीटी, डिजिटल की नई दुनिया खुल गई। नए माध्यम और नए हथियार मिल गए। तो नए हथियारों से करतब भी नए दिखाने होंगे। पुराना खेला चलेगा नहीं। इस सबके बीच नौ दिन में चले ढाई कोस वाला सफर रहा है मेरा।

'खाकी द बिहार चैप्टर' के क्रिएटर नीरज पांडे के साथ काम करने के अपने अनुभव के बारे में उमाशंकर सिंह ने आईएएनएस को बताया कि नीरज पांडेय के साथ काम करने का मौका मिलना बड़ी बात थी। मैं इस मौके को जाया नहीं करना चाहता था। खाकी के लिए मुझसे पहले वह कई लेखक से मिल चुके थे, पर कोई उन्हें जंच नहीं रहा था। तब उन्हें डायरेक्टर शिवम नायर ने मेरा नाम सुझाया था। पहली ही मुलाकात में उन्होंने मुझे गो अहेड तो कह दिया। पर उनकी आंखों में हल्का सा अविश्वास मुझे दिखा था। कुछ दिन बाद जब मैंने उन्हें पहला एपिसोड मेल किया उसके बाद हमारे बीच सब बदल गया।

उन्होंने अपनी आगामी फिल्म को लेकर बताया कि उनकी दो स्क्रिप्ट तैयार है। उसकी कास्टिंग हो रही है। दोनों फिल्में 2025 में दर्शकों के बीच आ सकती है।

महारानी वेब सीरीज के चौथे सीजन को लेकर पूछे गए सवाल पर उमाशंकर सिंह ने कहा कि, 'महारानी 4' के लिए चैनल से बहुत प्रेशर है। पर मेरे को-राइटर और क्रिएटर सुभाष कपूर सर और हम सब की थोड़ी अपनी-अपनी व्यस्तताएं हैं। जितनी जल्दी हो पाए हम लोग उसे समेट कर महारानी 4 के बारे में सोचना शुरू करेंगे।

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