राजनीति: अखिलेश को झटका, स्वामी प्रसाद मौर्य ने छोड़ी सपा
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया एक्स के जरिए दी है।
नई दिल्ली, 20 फरवरी (आईएएनएस)। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया एक्स के जरिए दी है।
मौर्य ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को इस्तीफा देते हुए लिखा,''आपके नेतृत्व में सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। लेकिन 12 फरवरी 2024 को हुई वार्ता एवं 13 फरवरी 2024 को प्रेषित पत्र पर किसी भी प्रकार की वार्ता की पहल न करने के फलस्वरूप मैं समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी त्याग-पत्र दे रहा हूं।''
स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे लिखा, ''मैं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में उत्तरप्रदेश विधान परिषद का सदस्य हूं। चूंकि मैंने समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है, ऐसे में नैतिकता के आधार पर यूपी विधान परिषद की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे रहा हूं। कृपया स्वीकार करने की कृपा करें।''
इसके साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर खबर आई की उन्होंने समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी का गठन कर लिया है। इस पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी होगा। इसके साथ ही खबर यह भी है कि वह पार्टी का झंडा लॉन्च कर चुके हैं। नीले, लाल और हरे रंग की पट्टी वाले इस झंडे में बीच में आरएसएसपी लिखा हुआ है।
बता दें कि अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसकी जानकारी भी अपने एक्स अकाउंट पर दी थी। उन्होंने त्यागपत्र को पोस्ट करते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को टैग किया था।
स्वामी प्रसाद ने लिखा था कि मैं नहीं समझ पाया कि मैं एक राष्ट्रीय महासचिव हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं, जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है, एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है, यह समझ के परे है। दूसरी हैरानी यह है कि मेरे इस प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों का रुझान समाजवादी पार्टी की तरफ बढ़ा है। बढ़ा हुआ जनाधार पार्टी का और जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे? यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो मैं समझता हूं, ऐसे भेदभावपूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए, मैं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से त्यागपत्र दे रहा हूं, कृपया इसे स्वीकार करें। पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए तत्पर रहूंगा।
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