राजनीति: कैग ने जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने में निभाई है महत्वपूर्ण भूमिका लोकसभा अध्यक्ष
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने देश में जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने देश में जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
स्वतंत्र भारत में कैग द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए, बिरला ने कहा कि 161 वर्षों की समृद्ध विरासत के दौरान चुनौतियों का सामना करने के लिए इसने अपने आपको ढाला है। कैग ने न केवल अपनी लेखा परीक्षा प्रणालियों में बदलाव किए हैं, बल्कि नए नवाचार भी किए हैं, जिनसे इसके कार्यों में विश्वसनीयता और प्रामाणिकता सुनिश्चित हुई है।
चौथे ऑडिट दिवस के अवसर पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिरला ने इस बात का भी उल्लेख किया कि संसद सदस्य लेखा परीक्षा रिपोर्ट के प्रत्येक पैरा पर चर्चा करते हैं और उसकी जांच करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जनता का धन विवेकपूर्ण ढंग से खर्च किया जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार के कार्य निष्पादन का लेखा परीक्षण कार्यपालिका को जनता के प्रति जवाबदेह बनाता है। सुदृढ़ वित्तीय अनुशासन सशक्त मजबूत लोकतंत्र का आधार है और कैग हमारे लोकतंत्र के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
बिरला ने बताया कि दुनिया के कई देशों के अधिकारी भारत की लेखा परीक्षा प्रणाली का अध्ययन करने और उससे सीखने के लिए भारत आते हैं। लोकसभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) के प्रयासों से 50 से अधिक देशों के अधिकारी भारत की लेखा परीक्षा प्रणालियों के गहन अध्ययन के लिए प्राइड के कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक तकनीक और नवाचारों के साथ दुनिया का मार्गदर्शन कर रहा है।
संसदीय समितियों, विशेषकर लोक लेखा समिति की भूमिका के बारे में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सांसद, संसदीय समितियों में लेखा परीक्षा रिपोर्टों पर बारीकी से चर्चा करते हैं और इन चर्चाओं ने वित्तीय पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने विपक्ष के वरिष्ठ सदस्य को लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में नामित करने की संसदीय परंपरा पर भी प्रकाश डाला और कहा कि ऐसी परंपराएं भारतीय लोकतंत्र की ताकत हैं, क्योंकि वे सुनिश्चित करती हैं कि हमारी लेखापरीक्षा प्रणाली निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे।
उन्होंने कहा, पहले लेखापरीक्षा को केवल आलोचना माना जाता था, लेकिन अब इसके दायरे का विस्तार हुआ है। जहां भी लेखा परीक्षा प्रणालियों को मजबूत और जवाबदेह बनाया गया है, वहां वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता का पालन हुआ है। बदलते समय में, हमारी प्रणालियों को और भी अधिक सशक्त और प्रभावी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में कैग, विभागों और देश के अन्य संस्थानों की दक्षता को बढ़ाने के लिए उनका मार्गदर्शन करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।
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