राजनीति: सीडब्ल्यूसी मीटिंग कांग्रेस में एकजुटता, चुनाव लड़ने के तरीकों और ईवीएम जैसे मुद्दों पर चर्चा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार की समीक्षा की। साथ ही उन्होंने इन चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर चिंता भी व्यक्त की।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-29 16:04 GMT

नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार की समीक्षा की। साथ ही उन्होंने इन चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर चिंता भी व्यक्त की।

उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आंतरिक मतभेदों और ईवीएम पर उठ रहे सवालों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावित वापसी की सराहना करते हुए, उन्होंने यह भी माना कि बाद के विधानसभा चुनावों में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले।

बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने वायनाड लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी वाड्रा को और नांदेड़ से नवनिर्वाचित सांसद वसंतराव चव्हाण को शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा, "2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद कांग्रेस ने एक नई ऊर्जा के साथ वापसी की थी, लेकिन फिर तीन राज्यों के चुनावी नतीजे हमारी अपेक्षाओं के अनुसार नहीं रहे। इंडिया ब्लॉक ने चार में से दो राज्यों में सरकार बनाई, लेकिन हमारा प्रदर्शन उम्मीद से कम था। यह हमारे लिए एक चुनौती का संकेत है। हमें इन चुनावी नतीजों से सीखा हुआ पाठ तुरंत संगठन के स्तर पर लागू करना होगा और अपनी कमजोरियों को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे। ये नतीजे हमें एक संदेश दे रहे हैं। मैं हमेशा कहता हूं कि आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमारे लिए नुकसानदेह साबित हो रही है।"

उन्होंने कहा, "जब तक हम एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे, तब तक हम अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकते हैं? इसलिए, अनुशासन का पालन करना बेहद जरूरी है। हमें हर हाल में एकजुट रहना होगा। पार्टी के पास अनुशासन की शक्ति है, लेकिन हम नहीं चाहते कि हम अपने साथियों को किसी बंधन में बांधें। हम सभी को यह समझना होगा कि कांग्रेस पार्टी की जीत में ही हमारी व्यक्तिगत जीत है और हार में हम सभी की हार है। पार्टी की ताकत ही हमारी ताकत है।"

खड़गे ने आगे कहा, "चुनावों में माहौल हमारे पक्ष में था, लेकिन केवल माहौल का होना जीत की गारंटी नहीं है। हमें माहौल को परिणामों में बदलने की क्षमता विकसित करनी होगी। हमें समयबद्ध और रणनीतिक तरीके से तैयारी करनी होगी। संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत बनाना होगा और मतदाता सूची से लेकर मतों की गिनती तक हर कदम पर सजग और सतर्क रहना होगा। हमारी तैयारी शुरू से लेकर मतगणना तक इस तरह से होनी चाहिए कि हमारे कार्यकर्ता और सिस्टम मुस्तैदी से काम करें। कई राज्यों में हमारे संगठन की स्थिति उम्मीद के मुताबिक नहीं है। हम चुनाव भले ही हार गए हों, लेकिन यह सही है कि बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक विषमता और अन्य ज्वलंत मुद्दे हमारे सामने हैं। जाति जनगणना भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। संविधान, सामाजिक न्याय और सौहार्द जैसे मुद्दे जन-जन से जुड़े हैं। राज्यों के विशिष्ट मुद्दों को समय रहते समझना और उस पर ठोस अभियान और रणनीति बनाना भी उतना ही जरूरी है।"

खड़गे ने कहा, "हम राष्ट्रीय मुद्दों और नेताओं के सहारे राज्यों का चुनाव नहीं लड़ सकते। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम राज्यों में अपने चुनावी अभियान की तैयारी एक साल पहले से ही शुरू करें। हमारी टीम पहले से ही मैदान में मौजूद रहनी चाहिए और सबसे पहले हमें मतदाता सूची की जांच करनी चाहिए। हमें पुराने ढंग से चुनावी रणनीतियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमें अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के हर कदम को ध्यान से देखना होगा और सही समय पर फैसले लेने होंगे। जवाबदेही तय करनी होगी। जो नैरेटिव हमने राष्ट्रीय स्तर पर सेट किया था, वह अभी भी लागू है।"

उन्होंने ईवीएम के मुद्दे पर कहा, "मैं मानता हूं कि ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया पर संदेह उत्पन्न किया है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। फिर भी देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है। सवाल बार-बार उठ रहे हैं कि यह कर्तव्य कितनी सफलता से निभाया जा रहा है। कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में जो परिणाम महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के पक्ष में आए थे, उसके बाद विधानसभा चुनाव का परिणाम राजनीति के जानकारों के लिए भी समझना मुश्किल है। जैसे परिणाम आए हैं, कोई भी गणित इसे सही साबित नहीं कर सकता।"

उन्होंने कहा, "हमें चुनाव लड़ने के तरीकों में बदलाव लाने होंगे। समय बदल चुका है और चुनाव लड़ने के तरीके भी बदल गए हैं। हमें अपनी माइक्रो-कम्युनिकेशन रणनीति को विरोधियों से बेहतर बनाना होगा। हमें प्रचार और अफवाहों से लड़ने के तरीके भी ढूंढने होंगे। पिछले परिणामों से हमें सीखने की जरूरत है, कमियों को सुधारना होगा और आत्मविश्वास के साथ कड़े फैसले लेने होंगे। हमारी बार-बार की हार से फासीवादी ताकतें मजबूत हो रही हैं और राज्य की संस्थाओं पर कब्जा जमा रही हैं। हम संविधान को अपनाने का 75वां साल मना रहे हैं। इस 75 वर्षों में कांग्रेस ने भारत में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। संविधान के कारण ही हमारा देश आज दुनिया में अगला कदम बढ़ा रहा है।"

उन्होंने मणिपुर पर कहा, "मणिपुर से लेकर संभल तक के मुद्दे गंभीर हैं। भाजपा देश का ध्यान अपनी विफलताओं से भटकाने के लिए धार्मिक मुद्दों को हवा देने की कोशिश कर रही है। हमें सत्ता में बैठी विभाजनकारी ताकतों को हर हालत में हराना है और देश में तरक्की, शांति एवं भाईचारे को फिर से स्थापित करना है। हमने ही इस देश को बनाया है और हमारे करोड़ों लोग हमें ताकत देने के लिए तैयार हैं।"

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