राजनीति: मणिपुर और संभल पर राज्यसभा में चर्चा की मांग, सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित
सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में विपक्षी सांसद मणिपुर हिंसा समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग करते दिखे। मणिपुर और उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए कई विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति को नोटिस दिया। विपक्षी सांसद सदन के अन्य कार्यों को स्थगित करके इन विषयों पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रहे थे। हालांकि सभापति ने विपक्षी सांसदों की यह मांग स्वीकार नहीं की। इसके बाद सदन में कुछ देर हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस) सोमवार को संसद का शीतकालीन सत्र प्रारंभ हुआ। सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में विपक्षी सांसद मणिपुर हिंसा समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग करते दिखे। मणिपुर और उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए कई विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति को नोटिस दिया। विपक्षी सांसद सदन के अन्य कार्यों को स्थगित करके इन विषयों पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रहे थे। हालांकि सभापति ने विपक्षी सांसदों की यह मांग स्वीकार नहीं की। इसके बाद सदन में कुछ देर हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा व सीपीआई सांसद संतोष कुमार पी ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराए जाने की मांग सभापति के समक्ष रखी थी। वहीं समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान और कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन ने संभल, उत्तर प्रदेश में हिंसा और तनाव को लेकर चर्चा के लिए नोटिस दिया था। विपक्षी सांसद चाहते हैं कि नियम 267 के तहत सदन के अन्य कार्यों को स्थगित कर कर इन मुद्दों पर चर्चा की जाए। सभापति ने सांसदों की मांग को अस्वीकृत कर दिया।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह पहले भी नियम 267 के तहत चर्चा पर अपना निर्णय दे चुके हैं, वही निर्णय वह दोबारा दोहरा रहे हैं। सभापति के इस फैसले से नाराज विपक्षी सांसद अपने स्थानों पर खड़े हो गए और चर्चा की मांग करने लगे। सभापति ने सांसदों से सदन में अच्छा आचरण करने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि आप यहां केवल भारत के 140 करोड़ लोगों के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व को ध्यान में रखते हुए अपना आचरण करें।
सभापति ने कहा कि संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए। इस दौरान अपनी बात रखते हुए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, संविधान को अपनाने के 75 वर्षो में उनका भी 54 वर्षों का योगदान है। खड़गे ने सभापति से कहा, यदि आप सदन की अन्य कार्यवाहियों को स्थगित कर दें, तो हम विपक्ष द्वारा उठाए गए विषयों पर चर्चा कर सकते हैं। सभापति ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने शोर मचाना शुरू कर दिया।
इस दौरान सभापति ने नियम के अनुसार सदन में बोलने के लिए सदस्यों के नाम पुकारे, लेकिन विपक्ष चर्चा को लेकर अपनी मांग पर अड़ा रहा। इसको देखते हुए सभापति ने सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही दोबारा प्रारंभ होने पर विपक्षी सदस्यों ने अपनी मांग पुन: दोहराई, इसके बाद सभापति ने सदन की कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया।
--आईएएनएस
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