अपराध: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अश्लील वीडियो मामले में नेटफ्लिक्स को जारी किया समन

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने नेटफ्लिक्स को अश्लील वीडियो मामले में एक पत्र लिखकर समन भेजा है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-23 13:52 GMT

नई दिल्ली, 23 जुलाई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने नेटफ्लिक्स को अश्लील वीडियो मामले में एक पत्र लिखकर समन भेजा है।

पत्र में कहा गया है कि आयोग को सेव कल्चर फाउंडेशन के उदय माहुरकर से एक शिकायत प्राप्त हुई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि नेटफ्लिक्स गैरकानूनी रूप से अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट प्रदर्शित कर रहा है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के निजी अंग और यौन गतिविधियां शामिल हैं। यह यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम का उल्लंघन है। आयोग ने प्राप्त शिकायत पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पत्र जारी किया है।

आईएएनएस से खास बातचीत में कानूनगो ने कहा कि हमको एक शिकायत मिली थी, उस शिकायत के अनुसार नेटफ्लिक्स पर ऐसा कंटेंट अवेलेबल है, जो भारतीय सेंसर बोर्ड के अनुसार फिल्मों में सेटिस्फाई नहीं है। उसमें अश्लील वीडियो है और अश्लील वीडियो सीधे घरों में भेज देना घातक है, वह भी तब जब भारत में पारिवारिक टीवी का कॉन्सेप्ट है।

उन्होंने कहा कि भारत अभी इस तरह का देश नहीं है, खास तौर पर मध्यम वर्गीय घरों में मां-बाप का टेलीविजन अलग और बच्चों का टेलीविजन अलग हो। या बच्चों का कंप्यूटर अलग हो और मां-बाप का डेस्कटॉप अलग हो। अभी हम जिस तरीके की स्थितियों में गुजर रहे हैं, उसमें कोविड में हमने देखा कि घरों में एक डेस्कटॉप से बच्चों ने स्कूल की पढ़ाई की और वर्चुअल क्लास ली। बच्चे माता-पिता के स्मार्टफोन, कंप्यूटर का पढ़ाई के लिए उपयोग करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हम जिस तरीके के देश में रहते हैं, उसके अनुरूप कंपनियों का आचरण होना चाहिए, जिससे कि हम बच्चों को गलत दिशा में जाने से बचा सकें। पिछले हफ्ते दक्षिण भारत के एक राज्य में तीन स्कूली बच्चों ने फोन पर अश्लील वीडियो देखा और एक छोटी बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी।

हम देश के बच्चों को इस तरफ जाते हुए नहीं देख सकते, इस पर रोक लगाना आयोग का काम है। हमने नेटफ्लिक्स को इस बारे में एक नोटिस भेजा था लेकिन इसका कोई जवाब नहीं आया, इसलिए हमने उनको समन भेजा है कि वह व्यक्तिगत रूप से आयोग में पेश होकर इस पर अपना स्पष्टीकरण दें।

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