विज्ञान/प्रौद्योगिकी: स्थानीय टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग से पैदा होंगी एंट्री लेवल की ज्यादा नौकरियां केंद्रीय मंत्री

केंद्र की ओर से यह बयान दिया गया है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-22 06:15 GMT

नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस) प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत स्थानीय टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग पर जोर देने से एंट्री लेवल की नौकरियों के अधिक अवसर पैदा होंगे और इससे अधिक कुशल मानव संसाधन बनाने में सफलता मिलेगी। केंद्र की ओर से यह बयान दिया गया है।

टेलीकॉम सेक्टर के लिए उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों से बातचीत करते हुए केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समावेशी और सहयोगात्मक नीतिगत निर्णय लेने को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

मंत्री ने कहा कि सरकार का ध्यान तय समय में समस्याओं को सुलझाने और साथ ही इंडस्ट्री-फ्रेंडली प्रोसेस बनाने पर है।

यह मीटिंग टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनियों के साथ हाल ही में बनाई गई स्टेकहोल्डर एडवाइजरी कमेटी (एसएसी) का हिस्सा थी। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री ने देश में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने, व्यावहारिक कार्यान्वयन दृष्टिकोण अपनाने और कारोबार में आसानी के साथ पिछली बैठक में चर्चा में लाए गए मुद्दों की समीक्षा की।

एसएसी ने इस बैठक में विश्वास जताया कि टेलीकॉम उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग घरेलू स्तर पर बढ़ने से बड़ी संख्या में एंट्री लेवल की जॉब पैदा होगी। इसके साथ ही कुशल मानव संसाधन बनाने में सफलता मिलेगी।

संचार मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह पहल भारत के टेलीकम्यूनिकेशन इकोसिस्टम के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

इंडस्ट्री के सदस्यों ने भी कहा कि अगर सरकार के साथ हम मिलकर काम करेंगे तो घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी टेलीकॉम सेक्टर में ग्रोथ देखने को मिलेगी।

केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिलाया कि टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को सुलझाने में सरकार पूरा सहयोग देगी। साथ ही कहा कि कंपनियों को भी अन्य देशों में अपनाई जाने वाली बेस्ट प्रैक्टिस को फॉलो करना होगा।

मंत्रालय के अनुसार, पीएलआई स्कीम आने के बाद देश में बने टेलीकॉम उपकरणों की बिक्री 50,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है। इससे 17,800 प्रत्यक्ष नौकरियां और कई अन्य अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हुई हैं। 50,000 करोड़ रुपये के इस आंकड़े में 10,500 करोड़ रुपये का निर्यात भी था।

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