अपराध: झारखंड में मूक-बधिर के लिए आरक्षित पद पर उसे मिल गई नौकरी जो बोल-सुन सकता है !
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को एक समारोह में 1482 स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा था, लेकिन नियुक्ति परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर भारी विवाद हो रहा है। अभ्यर्थियों का एक बड़ा समूह कई अनियमितताओं का उदाहरण देते हुए नियुक्ति प्रक्रिया की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है।
रांची, 13 जुलाई (आईएएनएस)। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को एक समारोह में 1482 स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा था, लेकिन नियुक्ति परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर भारी विवाद हो रहा है। अभ्यर्थियों का एक बड़ा समूह कई अनियमितताओं का उदाहरण देते हुए नियुक्ति प्रक्रिया की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है।
झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी के मुताबिक, गड़बड़ी इतनी गंभीर है कि मूक बधिर श्रेणी के लिए आरक्षित पद पर ऐसे अभ्यर्थी को नियुक्त कर लिए जाने की सूचना है, जो भली भांति बोल-सुन सकता है। इस युवक का नाम योगेंद्र प्रसाद बताया जा रहा है और वह देवघर का रहने वाला है।
भाजपा नेता बाउरी ने इस युवक का एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया एक्स पर शेयर करते हुए लिखा है, "मुख्यमंत्री के दबाव में विभाग कहीं इसे प्रिंटिंग-टाइपिंग एरर कहकर अपना पल्ला न झाड़ ले ! ध्यान रहे समय बदलेगा, जिन्होंने राज्य के युवाओं का भविष्य बेचा है उनकी जिम्मेदारी व जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।"
नियुक्ति की यह परीक्षा 3120 रिक्त पदों के लिए 2023 में आयोजित हुई थी। इस परीक्षा में कुछ खास सेंटरों के परीक्षार्थी सबसे ज्यादा सफल घोषित किए गए हैं। कई परीक्षार्थियों ने इसे बड़ी गड़बड़ी बताते हुए सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर कर रखी है, जिसकी अगली सुनवाई जुलाई के अंतिम हफ्ते में होनी है।
परीक्षार्थियों के एक समूह ने इस मुद्दे पर धरना-प्रदर्शन भी किया है। सीएम से लेकर झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को ज्ञापन सौंपे गए हैं। परीक्षा में गड़बड़ियों से जुड़े सवाल सोशल मीडिया पर भी उठाए जा रहे हैं। चुने गए कैंडिडेट्स में 481 ऐसे हैं, जिन्होंने बोकारो के एक ही सेंटर पर परीक्षा दी थी। झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की ओर से यह परीक्षा सीबीटी (कंप्यूटर बेस्ड) मोड में ली गई थी और इसके लिए राज्य में कुल 24 सेंटर बनाए गए थे। इनमें से पांच सेंटरों से 1500 कैंडिडेट्स सफल घोषित किए गए। यानी कुल सफल कैंडिडेट्स में 48 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने इन सेंटरों पर परीक्षा दी थी। सबसे ज्यादा टॉपर्स भी इन्हीं सेंटरों से हैं।
सफल घोषित कैंडिडेट्स में 1020 को सरकार ने लोकसभा चुनाव की घोषणा के पहले ही नियुक्ति पत्र दे दिया है, जबकि बाकी 2100 को नियुक्ति पत्र देने के पहले उनके सर्टिफिकेट्स की जांच की प्रक्रिया चल रही है।
परीक्षा और रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले परीक्षार्थियों की मांग है कि नियुक्ति प्रक्रिया स्थगित कर पहले पूरे मामले की जांच कराई जाए। सबसे ज्यादा सवाल बोकारो के श्रेया डिजिटल सेंटर पर स्थित परीक्षा केंद्र से एक साथ 481 कैंडिडेट्स के उत्तीर्ण होने पर उठ रहा है। फिजिक्स में 25 टॉपरों में 10, ज्योग्राफी के 13 में से आठ, बायोलॉजी के 11 में से तीन टॉपर इसी सेंटर के हैं। सफल परीक्षार्थियों में कई ऐसे हैं, जिनके रोल नंबर क्रमवार हैं।
इसी तरह रांची में शिवा इन्फोटेक, फ्यूचर ब्राइट एवं टिस्टा टेक्नोलॉजी और धनबाद में धनबाद डिजिटल सेंटर पर स्थित परीक्षा केंद्रों से भी बड़ी संख्या में परीक्षार्थी सफल हुए हैं। इस मामले में बीरेंद्र कुमार सिंह व अन्य की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की गई है, इसपर पिछले दिनों सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की बेंच ने जेएसएससी को निर्देश दिया है कि सीबीटी (कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट) के डिजिटल डाटा के साथ-साथ प्रश्न, उत्तर और रिस्पांस को सुरक्षित रखा जाए।
अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार व जेएसएससी को चार सप्ताह के अंदर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा था कि एक सेंटर श्रेया डिजिटल केंद्र, बोकारो से 481 अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया है, जिससे पता चलता है कि परीक्षा पहले से ही फिक्स थी।
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