स्वास्थ्य/चिकित्सा: केंद्र ने भारत में सांप काटने के मामलों को घोषित किया 'सूचित करने योग्य रोग'

इसको लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने भारत में सांप के काटने के मामलों और इससे होने वाली मौतों को "सूचित करने योग्य बीमारी" घोषित किया है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-29 11:49 GMT

नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस) सांप के काटने से सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं तेजी से बढ़ रही है। इसको लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने भारत में सांप के काटने के मामलों और इससे होने वाली मौतों को "सूचित करने योग्य बीमारी" घोषित किया है।

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 3-4 मिलियन लोगों को सांप काटता है। वहीं इनमें से लगभग 50,000 लोगों की मौत हो जाती है। यह वैश्विक स्तर पर सांप काटने वाली मौतों का आधा हिस्सा है। हालांकि, इन मामलों की रिपोर्टिंग बहुत कम की जाती है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के स्वास्थ्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा, "सांप काटना सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है और कुछ मामलों में, यह मृत्यु, बीमारी और विकलांगता का कारण बनता है। किसान, आदिवासी आबादी आदि इसके अधिक जोखिम में हैं। आपसे अनुरोध है कि राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम या अन्य लागू कानून के तहत प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सर्पदंश के मामलों और मौतों को 'सूचित करने योग्य रोग' (नोटिफि‍एबल डिजीज) बनाया जाए।"

पत्र में सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं (मेडिकल कॉलेजों सहित) से आग्रह किया गया है कि वे सभी संदिग्ध संभावित सर्पदंश मामलों और मौतों की रिपोर्ट संलग्न प्रारूप में देना अनिवार्य करें।

देश में लगभग 90 प्रतिशत सांप काटने के मामलों के लिए कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर जिम्मेदार हैं।

हालांकि इन चारों के प्रति 'पॉलीवैलेंट एंटी-स्नेक वेनम' 80 प्रतिशत मामलों में प्रभावी है, लेकिन सर्पदंश के रोगियों के उपचार के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी चिंता का विषय बनी हुई है।

अन्य प्रमुख बाधाएं बीमारी, मृत्यु दर, सामाजिक-आर्थिक बोझ, उपचार पैटर्न आदि पर डेटा की कमी हैं।

मार्च में, परिवार कल्याण मंत्रालय ने सर्पदंश की समस्या से निपटने के लिए सर्पदंश के रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की थी।

श्रीवास्तव ने कहा कि कार्य योजना का उद्देश्य "वर्ष 2030 तक सर्पदंश से संबंधित मौतों को आधा करना" है।

इस योजना में सर्पदंश प्रबंधन, नियंत्रण और रोकथाम में शामिल हितधारकों की परिभाषित रणनीति, भूमिकाएं और जिम्मेदारियां शामिल हैं।

एनएपीएसई का एक प्रमुख उद्देश्य देश में सर्पदंश के मामलों और मौतों की निगरानी को बढ़ावा देना है।

श्रीवास्तव ने सांप काटने की घटनाओं और मौतों पर सटीक नजर रखने के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली विकसित करने का आह्वान किया।

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