राजनीति: झारखंड में जनजातीय पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के लिए पेसा कानून लागू हो राज्यपाल संतोष गंगवार
झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने राज्य में जनजातीय समुदाय की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को लागू करने की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने शुक्रवार को रांची में दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि देश के अनुसूचित क्षेत्रों में एकमात्र झारखंड ऐसा राज्य है, जहां पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया एक्ट) कानून लागू नहीं हुआ है। सीएम हेमंत सोरेन को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
रांची, 9 अगस्त (आईएएनएस)। झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने राज्य में जनजातीय समुदाय की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को लागू करने की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने शुक्रवार को रांची में दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि देश के अनुसूचित क्षेत्रों में एकमात्र झारखंड ऐसा राज्य है, जहां पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया एक्ट) कानून लागू नहीं हुआ है। सीएम हेमंत सोरेन को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि संविधान में अनुसूचित क्षेत्रों के शासन में राज्यपाल को विशेष दायित्व सौंपे गए हैं और मैं इन दायित्वों के पालन के लिए प्रतिबद्ध हूं।
राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समाज को शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध कराने और उनके रोजगार की दिशा में अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। जनजातीय समाज के लिए सरकार की ओर से कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित हैं। यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें इन योजनाओं का पूरी तरह लाभ हासिल हो।
उन्होंने आदिवासी समाज में शिक्षा का प्रसार तेज करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इससे उनमें जागरूकता आएगी और वे ज्यादा सक्षम बन पाएंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जीवन का उदाहरण देते हुए राज्यपाल ने कहा कि वह अपने गांव की पहली महिला थीं, जिन्होंने कॉलेज की शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद देश में सर्वोच्च पद पर पहुंचीं। वह आज हम सभी के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं।
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि जीवन के प्रति आदिवासियों का जैसा सहज-सरल दृष्टिकोण है और प्रकृति के प्रति जिस तरह उनका सह-अस्तित्व है, उससे पूरे समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें उनसे पर्यावरण प्रेम और संरक्षण का ज्ञान सीखना चाहिए। यह समाज दहेज प्रथा जैसी बुराइयों से मुक्त है, लेकिन दुख की बात है कि डायन प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति आज भी उनके बीच मौजूद है। इस कुरीति को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
महोत्सव के उद्घाटन के सत्र में झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। जबकि, कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएम हेमंत सोरेन ने की।
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