राजनीति: वक्फ बिल को लेकर जेपीसी की पहली बैठक, डीएम को शामिल करने से नाराज कई सांसद

वक्फ (संशोधन) बिल पर गुरुवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की पहली बैठक संसद भवन एनेक्सी में हुई। पहली ही बैठक में विभिन्न विपक्षी दलों के कई सांसदों का कहना था कि बिल के मौजूदा प्रारूप से स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता व समानता के कानूनों का उल्लंघन होगा। एक बड़ा एतराज वक्फ ट्रिब्यूनल में डीएम व अल्पसंख्यक समुदाय के बाहर के सदस्यों को शामिल करने पर जताया गया।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-22 14:19 GMT

नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)। वक्फ (संशोधन) बिल पर गुरुवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की पहली बैठक संसद भवन एनेक्सी में हुई। पहली ही बैठक में विभिन्न विपक्षी दलों के कई सांसदों का कहना था कि बिल के मौजूदा प्रारूप से स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता व समानता के कानूनों का उल्लंघन होगा। एक बड़ा एतराज वक्फ ट्रिब्यूनल में डीएम व अल्पसंख्यक समुदाय के बाहर के सदस्यों को शामिल करने पर जताया गया।

पहली बैठक में केंद्रीय अल्पसंख्यक और कानून मंत्रालयों द्वारा प्रस्तावित संशोधनों के बारे में जेपीसी के सदस्यों को जानकारी दी गई। यह बिल बीते 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था, जहां से इसे जेपीसी में भेजने का फैसला लिया गया। 31 संसदीय जेपीसी में विपक्ष के सांसदों ने बिल को लेकर अनेक सवाल किए।

इन सांसदों का कहना था कि इससे कानून में प्रदत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा। जेपीसी की यह पहली बैठक बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में हुई।

समिति बिल पर विचार विमर्श करने के उपरांत संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। वक्फ (संशोधन) बिल पर जेपीसी की पहली बैठक में बिल से जुड़ी कानूनी बारीकियां भी संसद सदस्यों के समक्ष रखी गईं। कानून मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारियां सदस्यों के समक्ष प्रस्तुत की।

गौरतलब है कि समिति में शामिल मुस्लिम सांसदों का सबसे बड़ा विरोध वक्फ ट्रिब्यूनल में डीएम और गैर अल्पसंख्यक सदस्यों को शामिल करने को लेकर रहा। बैठक की अध्यक्षता कर रहे जगदंबिका पाल के मुताबिक विधेयक पर विस्तार से चर्चा की जा रही है। सभी हितधारकों की बात सुनी जाएगी व 44 संशोधनों पर चर्चा होनी है।

सत्ता पक्ष के सांसदों ने उम्मीद जताई कि अगले सत्र तक एक व्यापक विधेयक संसद के समक्ष रखा जा सकेगा। बिल को लेकर सरकार का मत है कि यह मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करता है। हालांकि, विपक्ष ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने वाला कदम बताया है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 पर विस्तार से विचार-विमर्श करने के लिए बनी जेपीसी में लोकसभा के 21 सांसद व राज्यसभा के 10 सांसदों को शामिल किया गया है। इनमें सदस्यों में राज्यसभा से बृजलाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, डॉ. राधामोहन अग्रवाल, डॉ. सयैद नसीर हुसैन, मोहम्मद नदीमउल हक, पी विजयसाई रेड्डी, मोहमद अब्दुल्ला, संजय सिंह व धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े शामिल हैं।

इस कमेटी में लोकसभा से जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय, डीके अरुणा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, मौलाना मोहिब्बुल्लाह, कल्याण बनर्जी, ए राजा, लावु श्री कृष्ण देवरायलु, दिलेश्वर कामत, अरविंद सांवत, एम सुरेश गोपीनाथ, नरेश गणपत म्हस्के, अरुण भारती और असदुद्दीन ओवैसी सहित कुल 21 सदस्य हैं।

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