समाज: पटना नहाए खाए से शुरू हुआ छठ महापर्व, व्रतियों ने बताया महत्व

छठ पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। पिछले कई दिनों से लोग इस त्योहार की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-05 11:33 GMT

पटना, 5 नवंबर (आईएएनएस)। छठ पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। पिछले कई दिनों से लोग इस त्योहार की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाए-खाए के साथ महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। इसी कड़ी में इस साल 5 नवंबर 2024, मंगलवार यानि आज से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है।

छठ के पहले दिन नहाए खाए की परंपरा होती है। इस दिन व्रती सुबह नहाकर सात्विक भोजन ग्रहण करते है। नहाए खाए के साथ शुरू होकर यह पर्व उषा अर्घ्य के साथ समाप्त होता है। छठ पूजा के इन चार दिनों तक व्रत से जुड़े कई नियमों का पालन किया जाता है। इस दिन महिलाएं गंगा जल से ही भात, चने की दाल और कद्दू का प्रसाद बनाती हैं। वहीं पटना के गंगा घाटों पर जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है, तो वहीं भद्र घाट पर गंगा नदी में एसएसबी के जवानों को तैनात किया गया है।

छठ व्रती अंजलि राय ने कहा, “सबसे पहले मैं सभी देशवासियों को छठ पर्व की शुभकामनाएं देना चाहती हूं। छठी मैया सबका कल्याण करें। अपनी कृपा दृष्टि सभी पर बनाए रखे। यही मेरी कामना और प्रार्थना है। आज नहाए खाए का दिन है। आज ही के दिन से छठ पर्व का आगाज होता है। आज गंगा स्नान का विशेष महत्व है। सभी व्रती महिलाएं गंगा स्नान करके जल लेकर घर जाती हैं। इसी जल से शुद्ध प्रसाद को तैयार किया जाता है। जिसमें चने की दाल, अरवा चावल और कद्दू की सब्जी बनाई जाती है। छठी मैया को अर्पित करने के बाद वो स्वयं प्रसाद ग्रहण करती हैं। सभी व्रती महिलाओं के लिए घाटों पर विशेष तैयारी की गई है। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि किसी को कोई भी परेशानी न हो।”

छठ व्रती निभा देवी ने कहा, “छठ व्रत चार दिन का होता है, जिसकी शुरुआत आज यानि की नहाए खाए से हो चुकी है। तीन दिन के बाद इसका पारन होता है। आज गंगा स्नान करने के बाद यहां से जल ले जाकर घर में चने का दाल, कद्दू की सब्जी बनाते हैं। यह पर्व बिहार और झारखंड में मनाया जाता है। लेकिन, अब यह पूरे विश्व में लोकप्रिय हो रहा है।”

कुसुम कुमारी ने कहा, “छठ पर्व अब पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो चुका है। यह चार दिन का पर्व होता है। पहले दिन हम खुद पवित्र और सात्विक भोजन बनाते और करते हैं। मान्यता है कि छठी मैया से अगर आप विश्वास के साथ जो भी मांगेंगी, वो आपको जरूर मिलेगा।”

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