राजनीति: विस्थापित बांग्लादेशी हिंदुओं को बांग्लादेश में रह रहे अपनों की सताई चिंता

वर्तमान में बांग्लादेश के हालात को देखते हुए पीलीभीत में बसे विस्थापित बांग्लादेशी हिंदुओं को अपनों का डर सताने लगा है। यह लोग 1971 में बांग्लादेश छोड़कर हिंदुस्तान चले आए थे और उनके कुछ रिश्तेदार वहीं पर रुक गए थे, जिनको लेकर वे चिंतित हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-06 14:53 GMT

नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। वर्तमान में बांग्लादेश के हालात को देखते हुए पीलीभीत में बसे विस्थापित बांग्लादेशी हिंदुओं को अपनों का डर सताने लगा है। यह लोग 1971 में बांग्लादेश छोड़कर हिंदुस्तान चले आए थे और उनके कुछ रिश्तेदार वहीं पर रुक गए थे, जिनको लेकर वे चिंतित हैं।

1971 में भारत-पाकिस्तान जंग के बाद पाकिस्तान का विभाजन हुआ और बांग्लादेश एक नए देश के रूप में उभर कर सामने आया। इस दौरान वहां पर बसे हिंदुओं ने जंग के दौरान डर के मारे बांग्लादेश छोड़ दिया और बहुत बड़ी तादाद में वहां से हिंदुस्तान में प्रवेश कर गए। इन विस्थापित बांग्लादेशी हिंदुओं को लाकर पीलीभीत में बसाया गया, जिनकी जनसंख्या मौजूदा समय में तकरीबन 30 हजार से ज्यादा है।

पीलीभीत के पूरनपुर तहसील मे पड़ने वाले चंदिया हजारा गांव मे 550 परिवार 1971 मे आये थे और आज इनकी संख्या तकरीबन 12 सौ परिवार की है। इनके सगे रिश्तेदार आज भी बांग्लादेश में रहते हैं। मौजूदा समय में बांग्लादेश के हालात को देखते हुए इन लोगों को अपने रिश्तेदारों की चिंताएं सता रही है। यह लोग तकरीबन रोज अपने रिश्तेदारों से बांग्लादेश में बात करते थे। चार दिनों से इन लोगों का अपने रिश्तेदारों से संपर्क कटा हुआ है, इसको लेकर उनकी चिंताएं बढ़ती चली जा रही हैं। मौजूदा समय में वहां के हालात अच्छे नहीं है और हिंदुओं और हिंदू मंदिरों पर कट्टरपंथी हमला कर रहे है। बांग्लादेश में अपने रिश्तेदारों को याद कर उनकी आंखें नम हो जाती हैं। गांव में चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है।

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