स्वास्थ्य/चिकित्सा: एनोरेक्सिया नर्वोसा के इलाज में सहायक हो सकती है साइकेडेलिक थेरेपी

एक शोध में पता चला है कि डिप्रेशन, एंग्जाइटी और एडिक्शन्स जैसी मानसिक स्थितियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली साइकेडेलिक थेरेपी, जिसमें साइलोसाइबिन का इस्तेमाल किया जाता है, एनोरेक्सिया नर्वोसा के इलाज में भी सहायक हो सकती है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-07 13:05 GMT

नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। एक शोध में पता चला है कि डिप्रेशन, एंग्जाइटी और एडिक्शन्स जैसी मानसिक स्थितियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली साइकेडेलिक थेरेपी, जिसमें साइलोसाइबिन का इस्तेमाल किया जाता है, एनोरेक्सिया नर्वोसा के इलाज में भी सहायक हो सकती है।

एनोरेक्सिया नर्वोसा एक मानसिक स्थिति है जिसमें लोग अपने भोजन में कैलोरी की मात्रा सीमित कर देते हैं, लेकिन वर्कआउट ज्यादा करते हैं या उल्टी करके खाना बाहर निकाल देते हैं। इसके कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। मानसिक बीमारियों में एनोरेक्सिया नर्वोसा के मामलों में मृत्यु दर सबसे अधिक है।

शोध की मुख्य लेखिका अमेरिका के सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की डॉ. स्टेफनी नैट्ज पेक ने कहा, "हमारे निष्कर्षों में एनोरेक्सिया नर्वोसा वाले लोगों के एक उपसमूह में मनोवैज्ञानिक परिवर्तन देखने को मिले।''

टीम ने विशेष मनोवैज्ञानिक सहायता के साथ साइलोसाइबिन की एक 25 मिलीग्राम की खुराक का इस्तेमाल किया।

इस शोध के परिणाम साइकेडेलिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किये गए हैं। शोध में शामिल 60 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि उन्हें अपने शरीर सौष्ठव में गिरावट नजर आई है। लगभग 70 प्रतिशत ने जीवन की गुणवत्ता में सुधार और व्यक्तिगत पहचान में बदलाव की बात कही, जबकि 40 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि खाने के विकार संबंधी उनकी मानसिक बीमारी काफी ठीक हुई है।

टीम ने कहा, ''हालांकि उपचार का प्रभाव आकार और वजन संबंधी चिंताओं में सबसे अधिक दिखाई दिया। लेकिन मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण में बदलाव से वजन अपने-आप सामान्य नहीं हुआ।"

शोध में कहा गया, इसके नतीजे आशाजनक हैं, लेकिन वे एनोरेक्सिया नर्वोसा के इलाज की जटिलता को भी उजागर करते हैं। टीम ने सुझाव दिया कि साइकेडेलिक थेरेपी का उपयोग करके बेहतर उपचार किया जा सकता है।

यूसीएसडी ईटिंग डिसऑर्डर ट्रीटमेंट सेंटर के निदेशक डॉ. वॉल्टर एच. केय ने मस्तिष्क इमेजिंग और आनुवंशिक विश्लेषण को समझने के लिए बड़े स्‍तर किए जाने वाले शोध की आवश्यकता पर बल दिया।

इन निष्कर्षों से खाने संबंधी विकारों के लिए व्यक्तिगत चिकित्सा पद्धतियों पर शोध के लिए नए रास्ते खुलते हैं।

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