रक्षा: बाकू जलवायु शिखर सम्मेलन में 132 देशों ने सैन्य अभियान रोकने की अपील की
अजरबैजान के बाकू में चल रहे 2024 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप 29) में शांति, राहत और पुनर्प्राप्ति दिवस पर, प्रेसीडेंसी ने शुक्रवार को घोषणा की कि भारत सहित 132 देश सीओपी ट्रूस अपील में शामिल हो गए हैं। सीओपी ट्रूस (युद्धविराम) एक ऐसी पहल है जिसको एक हजार से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों, नागरिक समाज संगठनों और प्रभावशाली सार्वजनिक हस्तियों का भी समर्थन हासिल है।
बाकू, 16 नवंबर (आईएएनएस)। अजरबैजान के बाकू में चल रहे 2024 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप 29) में शांति, राहत और पुनर्प्राप्ति दिवस पर, प्रेसीडेंसी ने शुक्रवार को घोषणा की कि भारत सहित 132 देश सीओपी ट्रूस अपील में शामिल हो गए हैं। सीओपी ट्रूस (युद्धविराम) एक ऐसी पहल है जिसको एक हजार से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों, नागरिक समाज संगठनों और प्रभावशाली सार्वजनिक हस्तियों का भी समर्थन हासिल है।
"सीओपी ट्रूस" में युद्ध हिंसा में शामिल देशों से सम्मेलन के महीने में सैन्य अभियान रोकने का आग्रह किया गया है।
ओलंपिक ट्रूस से प्रेरित यह अपील, कॉप 29 प्रेसीडेंसी की एक बड़ी पहल है, जिसे शांति, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।
सीओपी युद्ध विराम संधि की प्रेरणा ओलंपिक ट्रूस से ली गई है, जिसे 1990 के दशक के आरंभ से अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा फिर से चालू किया गया है। 1993 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित एक संकल्प के आधार पर, ओलंपिक ट्रूस राष्ट्रों से ओलंपिक खेलों के दौरान शत्रुता को निलंबित करने का आह्वान करता है।
जलवायु संकट में एकता की समान आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, कॉप 29 प्रेसीडेंसी ने इसे सीओपी (कॉप) ट्रूस पहल बनाने के लिए अपनाया है। जिसमें सम्मेलन के महीने के दौरान सैन्य अभियानों को रोकने की अपील की गई है।
कॉप ट्रूस अवधि को नवंबर तक के लिए प्रस्तावित किया गया है,जो कि कॉप 29 की अवधि है। युद्ध विराम की यह समय सीमा जलवायु कार्रवाई एजेंडे के लक्ष्यों के समान है। जो शांति और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संबंध को रेखांकित करती है, जिससे जलवायु पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
कॉप ट्रूस के दो मुख्य उद्देश्य हैं। पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना और जलवायु परिवर्तन के सामने एकता को बढ़ावा देना।
वैश्विक सैन्य गतिविधियों और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बीच महत्वपूर्ण संबंध है। अनुमान है कि वार्षिक वैश्विक उत्सर्जन में इनका योगदान 5.5 प्रतिशत है। यह आंकड़ा विमानन और शिपिंग क्षेत्रों के संयुक्त उत्सर्जन से भी अधिक है।
युद्ध के विनाशकारी पर्यावरणीय प्रभाव, पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश से लेकर मिट्टी, जल और वायु के प्रदूषण तक, जलवायु संकट को बदतर बनाने में योगदान करते हैं और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के प्रयासों में बाधा डालते हैं।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|