राष्ट्रीय: संजौली मस्जिद विवाद कोर्ट ने अवैध निर्माण तोड़ने के फैसले पर स्टे लगाने से किया इनकार, 11 नवंबर को होगी सुनवाई

हिमाचल प्रदेश के संजौली मस्जिद विवाद मामले में बुधवार को शिमला की जिला अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-06 14:33 GMT

शिमला, 6 नवंबर (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के संजौली मस्जिद विवाद मामले में बुधवार को शिमला की जिला अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

दरअसल, ऑल हिमाचल मुस्लिम लीग के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी ने संजौली मस्जिद कमेटी को अवैद्य ठहराया। उन्होंने याचिका दायर कर मस्जिद तोड़ने के आदेश पर स्टे लगाने की मांग की। वहीं, दूसरे पक्ष की ओर से इस मामले में दलील रखी गई। हालांकि, जिला कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 11 नवंबर को अगली तारीख तय की है।

मुस्लिम पक्ष के वकील विश्व भूषण ने कहा कि हमने कमिश्नर के आदेश के खिलाफ एक याचिका दायर की है। इस मामले में आज सुनवाई हुई और कोर्ट ने अगली तारीख 1 नवंबर तय की है। इस मामले में सभी पक्षों को 11 नवंबर को सुना जाएगा।

वहीं, एडवोकेट जगत पाल ने बताया कि संजौली मस्जिद मामले में ऑल हिमाचल मुस्लिम लीग के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी ने एक याचिका जिला सत्र अदालत में दाखिल की है। कमिश्नर ने 5 अक्टूबर 2024 को संजौली मस्जिद मामले में एक आदेश दिया था और उन्होंने तीन फ्लोर को अवैध करार देते हुए उसके ध्वस्तीकरण का आदेश दिया। इसके बाद मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि हम मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ना चाहते हैं। इसी सिलसिले में उनकी और से अवैध हिस्से को हटाने का काम भी किया गया, लेकिन स्थानीय निवासियों ने बाद में हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की। इस पर कोर्ट ने कमिश्नर से कहा था कि आठ सप्ताह के भीतर मामले का निपटारा करें।

नगर निगम शिमला कोर्ट के अवैध निर्माण हटाने के फैसले को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने चुनौती दी है। ये चुनौती बिलासपुर, पांवटा साहिब व मंडी की कमेटियों ने दी है। मुस्लिम पक्ष से जुड़ी तीन वेलफेयर सोसाइटीज ने निगम कमिश्नर कोर्ट के फैसले के खिलाफ जिले की एक अदालत में अपील की।

ज्ञात हो कि 21 अक्टूबर को संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने का काम शुरू हुआ था। शुरुआत में मस्जिद कमेटी ने छत के एक हिस्से को हटा दिया था, लेकिन बाद में हवाला दिया गया कि फंड की कमी के कारण काम को रोका जा रहा है।

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