संभल हिंसा मामला: हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद किसी भी तरह का एक्शन लेने से किया मना, संभल मामले में सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश

  • संभल मामले में नहीं लेगा कोई भी एक्शन
  • सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
  • सीजेआई ने कहीं ये बातें

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-29 08:21 GMT
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के संभल जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हिंसा हुई थी। जिसमें, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार यानी 29 नवंबर, 2024 को ट्रायल कोर्ट को आदेश देते हुए कहा है कि, जब तक ये मामला हाई कोर्ट में लंबित है, तब तक इस मामले में किसी भी तरह का एक्शन नहीं लेना है। वहीं, जामा मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में सिविल जज के सर्वे के आदेश को चुनौती दी है। जिसके बाद कोर्ट ने जवाब देते हुए कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही निचली अदालत किसी तरह की कार्रवाई करे।

योगी सरकार को दिए निर्देश

कोर्ट ने योगी सरकार को भी निर्देश देते हुए कहा है कि, इस बात का ख्याल रखें कि इलाके में शांति और सद्भाव बना रहे। सु्प्रीम कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट को सील्ड रखने को कहा है, साथ ही उस लिफाफे को ना खोलने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की सरकार से कोर्ट ने संभल की शांति और सद्भाव का खास ख्याल रखने को कहा है। 

कब ऑर्डर हुआ था पास?

संभल कोर्ट के सिविल जज जूनियर डिविजन ने 19 नवंबर को मस्जिद सर्वे का ऑर्डर पास किया था। जिसके बाद 24 नवंबर को सर्वे पर पहुंचने के बाद इलाके के लोगों और पुलिस की झड़प हो गई थी, जिससे हिंसा काफी फैल गई थी। इस हिंसा में 6 लोगों की मौत भी हो गई थी। मामले की सुनवाई की शुरूआत में संभल जामा मस्जिद कमेटी की तरफ से सीनियर एडवोकेट हुफेजा अहमदी ने ट्रायल अदालत की कॉपी सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी। जिस पर सीजेआई संजीव खन्ना के कहा कि हमने आदेश देखा है, केस पर टिप्पणी नहीं करेंगे। 

मस्जिद कमेटी की चिंता पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच के सामने एडवोकेट अहमदी ने चिंता जताते हुए कहा कि, पूरे देश में ऐसे कई सारे मामले पेंडिंग हैं, जिसमें ऐसा ही हुआ है। पहले ही दिन सर्वे का आदेश देना और फिर सर्वेक्षक नियुक्त कर देना, कृपया इसको रोकें। एडवोकेट की चिंता पर सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट की अनुमित के बिना इस मामले में कुछ नहीं हो सकता है। इसके अलावा, ट्रायल कोर्ट भी 8 जनवरी तक कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी से कहा है कि हमको लगता है कि याचिकाकर्ता सिविल जज के आदेश को चुनौती दे सकते हैं। साथ ही सीपीसी और संविधान के आधार पर उनका पूरा हक है। 

सीजेआई का योगी सरकार को क्या आदेश?

सीजेआई संजीव खन्ना ने जिला प्रशासन की तरफ से ऐडिशनल सॉलिसिटर जनरस केएम नटराज से कहा है कि, हम इस स्टेज पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं और मामले को पेंडिंग ही रखेंगे। लेकिन इलाके में हालात, शांति और सद्भाव को पूरा ख्याल रखना होगा। कोर्ट ने ये भी कहा है कि हमें निष्पक्ष होकर काम करने की जरूरत है। दोनों समुदायों कके सदस्यों को शामिल करके एक शांत समिति बनाने का निर्देश दिया है। 

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