हाई रिस्क कोविड मरीजों के लिये पैक्सलोविड टैबलेट की सिफारिश की

डब्ल्यूएचओ हाई रिस्क कोविड मरीजों के लिये पैक्सलोविड टैबलेट की सिफारिश की

Bhaskar Hindi
Update: 2022-04-22 14:30 GMT
हाई रिस्क कोविड मरीजों के लिये पैक्सलोविड टैबलेट की सिफारिश की
हाईलाइट
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  • 078 मरीजों पर किये गये दो परीक्षणों के आधार पर यह सिफारिश की है

डिजिटल डेस्क, जिनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हल्के और मध्यम लक्षणों वाले कोरोना संक्रमित मरीजों, जिनके अस्पताल में भर्ती होने की आशंका अधिक है, उन्हें दवा कंपनी फाइजर के एंटीवायरल टैबलेट पैक्सलोविड दिये जाने की सिफारिश की है।

डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को कहा कि निर्माट्रेल्विर और रिटोनाविर टैबलेट का मिश्रण पैक्सलोविड हाई रिस्क वाले कोरोना मरीजों के लिये अब तक की सबसे उपयुक्त दवा है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यह टैबलेट बारह साल या उससे अधिक आयु के उन कोरोना संक्रमितों को दिया जा सकता है, जिनके अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर रूप से बीमार पड़ने का अधिक खतरा है। यह उन मरीजों को दिया जा सकता है, जिन्हें कोरोना का टीका नहीं ंदिया गया है, जो बुजुर्ग हैं या रोगप्रतिरोधी क्षमता संबंधी बीमारियों से ग्रसित हैं।

डब्ल्यूएचओ ने कम रिस्क वाले मरीजों को यह दवा नहीं दिये जाने की सिफारिश की है क्योंकि उन पर इस दवा का असर लगभग नगण्य है।

डब्ल्यूएचओ ने 3,078 मरीजों पर किये गये दो परीक्षणों के आधार पर यह सिफारिश की है। इन परीक्षणों से पता चला कि यह दवा देने पर कोरोना संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना करीब 85 प्रतिशत कम हो जाती है।

स्वास्थ्य संगठन ने साथ ही फाइजर से कहा है कि वह अपने दवाओं के वितरण का भौगोलिक दायरा बढ़ाये तथा कीमतों में पारदर्शिता अपनाये।

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग के पास पैक्सलोविड के करीब छह लाख टैबलेट बिना उपयोग से पड़े हुये हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इसके उपचार के बारे में कम ही डॉक्टरों को जानकारी है और परीक्षण की कमी के कारण भी इस दवा का इस्तेमाल बहुत कम हो रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कम आय और मध्यम आयवर्ग वाले देशों में इस दवा के इस्तेमाल में सबसे बड़ी बाधा कोरोना संक्रमण की त्वरित जांच है। यह दवा दरअसल कोरोना संक्रमण के शुरूआती लक्षणों के शुरू होने के दौरान ही दी जाती है लेकिन परीक्षण के अभाव में यह संभव नहीं हो पाता है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि तत्काल और सटीक परीक्षण से ही इस दवा का परिणाम सही आ पायेगा।

फाइजर की ओर से पारदर्शिता न रखने के कारण जन स्वास्थ्य संगठनों के लिये पैक्सलोविड की उपलब्धता का सही आंकड़ा मिलना मुश्किल हो जाता है। उन्हें यह जानना मुश्किल हो जाता है कि द्विपक्षीय सौदे में कौन से देश में शामिल हैं और वे क्या रकम अदा कर रहे हैं।

मेडिसिन पेटेंट पूल के साथ लाइसेंस समझौते करके फाइजर ने पैक्सलोविड के जेनेरिक वर्जन से लाभ उठाने वाले देशों की संख्या सीमित कर दी है।

(आईएएनएस)

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